दिल्ली के चावड़ी बाजार मेट्रो स्टेशन से बाहर निकलने पर आप किसी से भी पूछेंगे कि मुबारक बेगम की मस्जिद कहां है, तो लोग आपको उसका रास्ता तुरंत बता देंगे. हौज़ काज़ी इलाके में स्थित ये मस्जिद बेहद प्रसिद्ध है पर और इसका इतिहास काफी पुराना है. 200 साल पुरानी ये मस्जिद मुबारक बेगम (Mubarak Begum Masjid name) के नाम पर बनी है जो एक मशहूर नरतकी और यौनकर्मी हुआ करती थी. बेशक आपको ये सुनकर हैरानी हुई होगी कि एक ऐसी स्त्री के नाम पर मस्जिद कैसे बन गई! पर उससे भी ज्यादा हैरानी ये जानकर होगी कि मुबारक बेगम (Mubarak Begum Masjid Delhi) असल में एक हिन्दू महिला थी. चलिए आपको उनके बारे में बताते हैं.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार 19वीं सदी में इस मस्जिद का निर्माण हुआ था. लोग इसके निर्माण का साल 1823 बताते हैं. पर लोगों में इस बात को लेकर संशय है कि मस्जिद को बनवाया किसने. बहुत से लोगों का मानना है कि मुबारक बेगम के पति ने इसे बनवाया वहीं कई लोग कहते हैं कि उन्होंने खुद इसे बनवाया था. मुबारक बेगम हिन्दू थीं. कुछ रिपोर्ट्स में इस बात का दावा किया गया है कि उनका असली नाम चंपा था, हालांकि, इस दावे की पुष्टि नहीं की जा सकती है. ब्राह्मण होने के साथ-साथ वो मराठी भी थीं. पुणे में रहा करती थीं पर दिल्ली चली आई थीं.
मुबारक बेगम पुणे से दिल्ली आई थीं और वहां आकर हिन्दू से मुसलमान बन गई थीं. (फोटो: Twitter/@DalrympleWill)
कौन थी मुबारक बेगम?
माना जाता है कि दिल्ली में मुबारक बेगम बड़ा नाम बन चुकी थीं. दिल्ली के रसूखदार लोग उनके यहां आते थे. आज के वक्त में यौनकर्मियों को बुरी नजर से देखा जाता था, पर उन दिनों, यौनकर्मी, संगीत की जानकार, बातें करने में निपुण और अमीर हुआ करती थीं. इस वजह से राजा-महाराजा अपने बच्चों को उनके यहां बातें करने का तरीका सिखाने के लिए भेजा करते थे. माना जाता है कि बाद में मुबारक बेगम ने धर्म परिवर्तन कर लिया था और उनका नाम बीबी महरातुन मुबारक-उन-निसा-बेगम पड़ गया था. मुबारक बेगम की शादी पहले ब्रिटिश रेजिडेंट जनरल डेविड ऑक्टरलोनी (David Ochterlony) के साथ हुई थी जो दिल्ली में तैनात थे. वो मन से भारतीय परंपरा को अपना चुके थे इस वजह से लोग उन्हें ‘वाइट मुगल’ (White Mughal) कहा करते थे. उन्हें मुगलों के तौरतरीके ठीक लगते थे.
इस वजह से बनी थी मस्जिद
उस दौर में मस्जिद सिर्फ राजा-महाराजा या उनके परिवार की औरतें बनवा सकती थीं. इस वजह से जब ये मस्जिद बनी, तो इसके साथ आपत्तिनजक नाम जुड़ गया जिससे इसे पहचान मिली. हालांकि, इसका असली नाम मुबारक बेगम मस्जिद है. लेखक जिया उस सलाम ने अपनी किताब विमेन इन मस्जिद में इस मस्जिद का भी जिक्र किया है. जिया उस सलाम ने बीबीसी मराठी से बात करते हुए मुबारक बेगम के बारे में कहा था कि वो एक नरतकी और यौनकर्मी थी, पर वो समाज के ऊंचे तबके में अपनी जगह बनाना चाहती थी. इस वजह से उसने एक ब्रिटिश जनरल से शादी की. डेविड की मौत के बाद उसकी शादी एक मुस्लिम से हुई थी. उन्होंने बीबीसी से कहा- “मस्जिद बनवाना समाज के उच्च तबक़े में अपनी स्वीकार्यता बनाने की कोशिश का ही हिस्सा था. एक तबका मानता है कि यह मस्जिद मुबारक बेगम ने बनवाई थी. दूसरे तबके का मानना है कि जनरल डेविड ने यह मस्जिद बनवाई थी और इसका नाम मुबारक बेगम पर रख दिया था. लेकिन, असलियत यह है कि मस्जिद मुबारक बेगम ने बनवाई थी. डेविड ने इसके लिए पैसे दिए थे.” आपको बता दें कि इस मस्जिद के गेट पर मुबारक बेगम का नाम लिखा है. ये दो मंजिला है. पहले फ्लोर पर मस्जिद है जहां नमाज के लिए हॉल है और तीन गुंबद हैं.

साल 2020 में मस्जिद का एक गुंबद भारी बारिश की वजह से टूट गया था. (फोटो: Twitter/@DalrympleWill)
साल 2020 में जुलाई के महीने में तेज बारिश हुई थी, जिसकी वजह से इन तीन में से एक गुंबद गिर गया था. आज भी लोग इस मस्जिद को उसी आपत्तिजनक नाम से बुलाते हैं, जिससे लोग 19वीं सदी में बुलाया करते थे क्योंकि लोगों को इस बात की भी चिढ़ थी कि ऐसी महिला, समाज में इतना ऊंचा रुतबा कैसे पा सकती है. माना जाता है कि मुबारक बेगम की मस्जिद में दिल्ली का आखिरी सबसे बड़ा मुशायरा हुआ था जिसमें कई बड़े शायर शामिल हुए थे. उनमें मिर्जा गालिब भी शामिल थे.