अंकित कुमार सिंह/
सीवान
: आज हम बिहार के सीवान जिला स्थित एक ऐसे रहस्यमयी महल की बात करने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आप भी दंग रह जाएंगे. दरअसल, जिस महल की हम बात करने जा रहे हैं यह सीवान जिला के गुठनी प्रखंड अंतर्गत बलुआ गांव स्थित नूरी मियां का ऐतिहासिक और प्रसिद्ध महल है. यह महल लगभग 140 से 145 वर्ष पुराना है. इस महल को लेकर कई कहानियां भी प्रचलित हैं. इस महल में 10 कुएं का राज छिपा हुआ है. इन कुंए से सैकडों वर्ष पूर्व गर्म और ठंडा पानी निकलता था. हालांकि, आज तक इसका पता नहीं लगाया जा सका है. यह आज भी रहस्य ही बना हुआ है.
दरअसल, आज से 140 से 145 वर्ष पूर्व गुठनी के रहने वाले नूरी मियां ने अपने रहने के लिए विशाल और भव्य महल का निर्माण कराया था. जब तक वह जीवित रहे तब तक इस महल में रहे. स्थानीय लोगों की मानें तो यह महल पूर्ण रूप से भूल-भुलैया जैसा बना हुआ था और उनके कमरे काफी बड़े-बड़े थे. कहीं न कहीं यह महल अपने अंदर कई रहस्य को समेटे हुआ था. दीवारों पर मुगलकालीन बेहतरीन कलाकृतियां प्रदर्शित की गई थी. जो महल की खूबसूरती को बढ़ाती थी. उसी समय इस महल में 10 कुंए की खुदाई कराई गई थी, जिनसे गर्म और ठंडा पानी निकला था. पानी का प्रयोग सिर्फ और सिर्फ नूरी मियां के परिवार वाले ही करते थे.
आज तक बना हुआ है रहस्य
दरअसल, नूरी मिया के द्वारा बनाया गया महल अंदर से भूल-भुलैया जैसा निर्मित था, ताकि कोई अनजान शख्स प्रवेश न कर सके. उनकी मृत्यु के बाद उनके घर वाले महल छोड़कर दिल्ली चले गए. इसके बाद से महल आज खंडहर में तब्दील होकर बंद पड़ा है. बंद होने के बाद आज तक कोई अंदर नहीं गया है. बताया जाता है कि कुछ लोगों ने कुंए का राज जानने के लिए महल में प्रवेश किया था. लेकिन वह बाहर नहीं आ सके. जब इसकी जानकारी गांव वालों को लगी तो महल को लेकर लोगों में भय का माहौल कायम हो गया. लोग कहते हैं कि महल में जाने वाले लोग जिंदा बच कर बाहर नहीं आते हैं. यही वजह है कि महल में कोई प्रवेश नहीं करता है.
महल को देखने दूर-दराज से आते हैं लोग
बता दें कि महल को देखने के लिए सीवान ही नहीं बल्कि दूर-दराज से लोग आते हैं. यहां तक कि कई बार इतिहासकारों ने भी पहुंचकर उसके बारे में तथ्यों को उजागर किया है और उसे पर शोध किया है. यह महल कई रहस्य को समेट हुआ है. महल का रहस्य ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. अधिकांश लोग महल और मुगलकालीन कलाकृतियों को देखने के लिए इसका रुख करते हैं. महल के में गेट पर बहुत ही बेहतरीन तरीके से मुगलकालीन कलाकृतिया बनाई गई है, जो अब भी नया प्रतीत होता है.
उद्योगपति के साथ-साथ जमींदार भी थे नूरी मियां
इतिहासकार कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि नूरी मियां उद्योगपति के साथ जमींदार भी थे. जिन्होंने कई विकास का कार्य किया. उन्होंने ऐतिहासिक व बेहतरीन कलाकृतियों से सुसज्जित महल का निर्माण अपने रहने के लिए कराया था. जिसके कई रहस्य हैं. इस में कुंए का राज भी छिपा हुआ है. यह गांव नदी के तीर पर है. इस वजह से कुएं में ठंड और गर्म पानी का प्रवाह होता था. उन्होंने बताया कि जरूरत है कि इस धरोहर को सरकार जीर्णोद्धार कर सुरक्षित करें, जिससे आने वाली पीढ़ी भी इसको जान सके.