वीरेंद्र पुरी/कैथल.
आजकल जन्म-प्रमाण पत्र बनवाना काफी मुश्किलों भरा है लेकिन फर्जी काम करने वालों ने इसे भी आसान बना दिया है. भारत सरकार से मिलती फर्जी वेबसाइट बना डाली.जिससे हूबहू असली जैसा जन्म-प्रमाण पत्र निकलता है.क्यूआर कोड के साथ जारी प्रमाणपत्र को देखकर एक बार में नहीं बता पाएंगे कि फर्जी है.इसमें सिर्फ एक ही वेबसाइट फर्जी नहीं पाई गई बल्कि जब सरकारी वेबसाइट का यूआरएल डालते हैं तो उसके बिल्कुल नीचे दो-तीन वेबसाइट हैं जिनसे फर्जीवाड़ा होता है.ये वेबसाइट बिलकुल सरकारी वेबसाइट की तरह डिजाइन की गई हैं. बस उनके यूआरएल/डोमेन नाम से पहचाना जा सकता है.स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर गौरव पूनियां ने इसका खुलासा किया. डॉक्टर गौरव पूनियां ने विभाग के उच्च अधिकारियों को भी इसके बारे में चिट्ठी लिखी है.
इन फर्जी वेबसाइट से लिया गया जन्म-प्रमाण पत्र भारत सरकार के मिलते-जुलते प्रमाण पत्र जैसा है.इस जन्म-प्रमाण पत्र पर भारत सरकार के लोगो और अशोक चिन्ह से लेकर QR कोड तक है.इस फर्जीवाड़े को चलाने वाले गिरोह के सदस्य इन जन्म-प्रमाण पत्रों को बनाकर हजारों रूपए में बेच रहे हैं.गिरोह इस काम को इतनी सफाई के साथ करता है कि असली और नकली जन्म-प्रमाण पत्र में फर्क बताना मुश्किल है.
नकली सर्टिफिकेट लेकर असली ऑफिस पहुंचा युवक
जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र डिपार्टमेंट (स्वास्थ्य विभाग) के एडिशनल जिला रजिस्ट्रार डॉ गौरव पूनिया ने बताया कि जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए पोर्टल पर अप्लाई करना होता है. कार्यालय में एक युवक एक प्रमाण पत्र लेकर आया और उस जन्म-प्रमाण पत्र की दूसरी कॉपी की मांग करने लगा.जब हमें उसके जन्म-प्रमाण पत्र की जांच की तो वह सर्टिफिकेट फर्जी पाया गया क्योंकि वो किसी और पोर्टल से निकला हुआ था लेकिन वह सर्टिफिकेट हूबहू असली जैसा था . बिलकुल ऐसा था जैसा सरकारी वेबसाइट से निकलता है. जब हमने उसे गूगल किया तो सरकारी वेब साइट से मिलती-जुलती तीन, चार साइट नज़र आई. सभी साइट का पहला पेज भारत सरकार की वेब जैसा है. इस मामले को लेकर हम चीफ रजिस्ट्रार को लिख रहे हैं ताकि भारत सरकार को अवगत करवाया जाए.
QR code से हुआ खुलासा
जन्म प्रमाण पत्र की सत्यता पता करने के लिए प्रमाण-पत्र पर लगे QR code को जैसे ही स्कैन करते हैं तो भारत सरकार के मिलते-जुलते पोर्टल के साथ एक फर्जी पोर्टल खुल जाता है.जिस पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अमित शाह की फोटो के साथ-साथ भारत सरकार के असली पोर्टल पर लगी गैलरी की फोटो भी नजर आएगी. जिससे असली और नकली पोर्टल में फर्क पता लगाना मुश्किल है. स्क्रीन पर दिखाई देने वाले इन पोर्टल को देखने से असली और नकली पोर्टल में फर्क बताना आसान नहीं क्योंकि इन सभी पोर्टल में भारत सरकार के पोर्टल से मिलती हर चीज़ को शामिल किया गया है.मामूली फर्क के साथ ज्यों का त्यों तैयार करके डोमेन नाम में भी .gov लिखा है.
असली और नकली पोर्टल में बस हाइफन का फर्क
कैथल जिला की जन्म एवं मृत्यु शाखा से जारी हुआ एक जन्म प्रमाण इस खुलासे की वजह बना. बताया जा रहा है कि इस सर्टिफिकेट को बनाने के लिए हजारों रुपए लिए गए. सर्टिफिकेट बनवाने के बाद प्रार्थी इसका सत्यापन करवाने के लिए जब कैथल में जन्म एवं मृत्यु प्रमाण शाखा पहुंचा तो यह बर्थ सर्टिफिकेट फर्जी पाया गया क्योंकि इस बर्थ सर्टिफिकेट पर लगा क्यूआर कोड भारत सरकार के मिलते-जुलते फर्जी पोर्टल को खोलता है.जिसमें सिर्फ एक हाईफन का फर्क नज़र आता है.भारत सरकार के असली पोर्टल का डोमन नेम https://crsorgi.gov.in है जबकि इन पोर्टल का डोमन नेम https://crsorgi-gov-in.in और https://crsgov.com है.गिरोह ने चकमा देने के लिए अपने हर पोर्टल के डोमेन में gov लगाया है.