गाजियाबाद.
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Aadityanath) एक बार फिर से कानून व्यवस्था (Law and Order) को लेकर यूपी पुलिस (UP Police) को लताड़ लगाई है. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गाड़ियों पर जातिसूचक शब्द लिखना (Racial Slurs on Vehicles) और चेन स्नेचिंग (Chain Snatching) घटनाएं को पुलिस हल्के में न लें. इस तरह की छोटी-छोटी घटनाएं हीं बाद में बड़ी बन जाती है. इसलिए पुलिस की पेट्रोलिंग पर विशेष देना चाहिए, ताकि वाहनों पर जातिसूचक बोर्ड लगाकर कोई न चलने पाए. सीएम योगी की लताड़ के बाद यूपी पुलिस अगले कुछ दिनों में विशेष अभियान चलाने जा रही है, जिसमें अगर आपके किसी भी तरह के गाड़ियों जैसे बाइक, कार, ट्रक या फिर अन्य गाड़ियों पर जातिसूचक शब्द का बोर्ड लगाना दंडनीय अपराध होगा.
योगी की फरमान के बाद प्रदेश के सभी जिलों के परिवहन विभागों ने उन गाड़ियों का चालान काटना शुरू कर दिया है, जिनपर जातिसूचक शब्द या लाइन लिखा गया है. मोटर व्हीकल एक्ट में इस बारे में जुर्माने का प्रावधान है. कानून कहता है कि गाड़ियों के नंबर प्लेट पर नंबर के अलावा कुछ भी लिखना गलत है. यहां तक की नंबर के फांट साइज और उसकी स्टाइल भी नियम के अनुकूल होनी चाहिए लेकिन, अभी तक इसका पालन नहीं हो रहा है.
यूपी में साल 2020 के आखिर में इस नियम का कड़ाई से पालन शुरू हुआ था. (फाइल फोटो )
यूपी में फिर शुरू होगा गाड़ियों का धरपकड़ अभियान
हालांकि, यूपी ही नहीं देश के कई शहरों की सड़कों पर अभी भी सैकड़ों गाड़ियां देखने को मिल जाएंगी, जिनके नंबर प्लेटों पर उत्तर प्रदेश सरकार, बिहार सरकार, राजस्थान सरकार, केंद्र सरकार, यूपी पुलिस, न्यायाधीश, वकील, पत्रकार, डिफेंस, विधायक और सांसद, यहां तक की पूर्व और बड़ा विधायक भी दिख जाएगा. केंद्र सरकार के मोटर रूल्स का ये भी खुला उल्लंघन है. वहीं, आम आदमी भी गाड़ियों पर राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार, वैश्य, क्षत्रिय, जाट और गुर्जर जैसे शब्द लिखने से बाज नहीं आ रहे हैं.
सीएम की सख्ती के बाद यूपी पुलिस अलर्ट
गाड़ियों के नंबर प्लेट पर क्या-क्या नहीं लिख सकते हैं? इस सवाल के जवाब में एक्सपर्ट कहते हैं, ‘मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक गाड़ियों के नंबर प्लैट पर नंबर के अलावा कुछ भी नहीं लिखा जाना चाहिए. रूल्स में साफ साफ लिखा है कि गाड़ी की नंबर प्लेट कैसी होनी चाहिए. उस पर निर्धारित फॉर्मेट के अतिरिक्त कुछ भी नहीं लिखा होना चाहिए. मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 177 में इसके लिए दंड का प्रावधान किया गया है. पहली बार उल्लंघन करने पर 500 रुपये और दूसरी बार करने पर 1500 रुपये का चालान काटा जाएगा. हालांकि, योगी की सख्ती के बाद वाराणसी कमिश्नरेट इस नियम को और कड़ा कर सकती है.
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यूपी में साल 2020 के आखिर में इस नियम का कड़ाई से पालन शुरू हुआ था. उस समय यूपी पुलिस और परिवहन विभाग उन गाड़ियों के चालान काट रहे थे, जिन पर जातिसूचक कोई शब्द लिखा होता था. बीच में इसकी संख्या बढ़ने लगी. अब सीएम योगी के निर्देश के बाद फिर से पूरे उत्तर प्रदेश में अभियान चलाया जाएगा.