केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी लंबे समय से पेट्रोल और डीजल पर देश की निर्भरता कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने पर जोर दे रहे हैं. इसके बावजूद में मौजूदा वक्त में अभी भी इलेक्ट्रिक कार बाजार में वैसी तेजी नहीं देखी जा रही है जैसी तेजी की उम्मीद की जा रही थी. अब भी लोग इलेक्ट्रिक कार खरीदने से परहेज कर रहे हैं. इसके पीछे लोगों की अपनी चिंता है. इसमें सबसे प्रमुख है इलेक्ट्रिक कारों की कीमत का अधिक होना और उसकी रेंज का कम है. देश के ईवी मार्केट की आज की स्थिति की बात करें तो आपको पता होगा कि इस वक्त इलेक्ट्रिक कार बाजार में देसी कंपनी टाटा की गाड़ियां सबसे अधिक बिकती हैं. टाटा ने काफी पहले अपने सबसे सफल कॉम्पैक्ट एसयूवी नेक्सॉन का इलेक्ट्रिक वर्जन बाजार में उतारा था. इसके साथ ही वह टियागो और अन्य सफल गाड़ियों का भी इलेक्ट्रिक वर्जन बाजार में ला चुकी है. मगर हम आज की पूरी स्टोरी इलेक्ट्रिक नेक्सॉन और अंतरराष्ट्रीय इलेक्ट्रिक कार बाजार के बीच में रखेंगे.
दरअसल, एक दिन पहले गुरुवार को ही दुनिया के एक प्रतिष्ठित संस्थान रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (Rocky Mountain Institute) ने एक शोध पत्र जारी किया है. इस शोध में दावा किया गया है कि अगले साल यानी 2024 तक यूरोप में इलेक्ट्रिक कारों की कीमत
पेट्रोल-डीजल कारों
की कीमत के बराबर हो जाएंगी. इसी तरह ऐसी ही स्थिति 2023 तक अमेरिका में आ जाएगी. उसके बाद 2030 तक पूरी दुनिया में यह ट्रेंड फैल जाएगा. यानी पांच से सात सालों के भीतर भारत सहित पूरी दुनिया में इलेक्ट्रिक कारों की कीमत पेट्रोल कारों के बराबर हो जाएगी. इस संस्थान का यह भी दावा है कि 2030 तक दुनिया में बिकने वाली तीन कारों में से दो कारें इलेक्ट्रिक होंगी.
दावे के पीछे क्या है आधार
दरअसल, रॉकी इंस्टीट्यूट का यह दावा हवा हवाई नहीं है. इंस्टीट्यूट के मुताबिक किसी भी इलेक्ट्रिक कार की लागत में सबसे अहम होता है उसकी बैटरी की कीमत. मौजूदा वक्त में दुनिया के बाजार में बैटरी की कीमत काफी अधिक है. बीते साल 2022 में इलेक्ट्रिक कार के लिए 151 डॉलर प्रति kWh की रेट से बैटरियों की बिक्री हुई. लेकिन यह रेट तेजी से गिर रहा है. आने वाले समय में यह रेट गिरकर 60 से 90 डॉलर प्रति kWh हो जाने की उम्मीद है. यानी कीमत करीब-करीब आधी हो जाएगी. यूरोप में तो अगले साल ही इस रेट पर इलेक्ट्रिक कार बैटरियां बिकने लगेंगी.
कार की लागत का 40 फीसदी बैटरी खर्च
मौजूदा वक्त में किसी भी इलेक्ट्रिक कार की कुल लागत का करीब 40 फीसदी खर्च उसकी बैटरी पर होता है. ऐसे में बैटरी की कीमत आधी हो जाती है तो निश्चिततौर पर लागत खर्च में भारी कमी आएगी और इस तरह दुनिया इलेक्ट्रिक कार क्रांति को ओर बढ़ेगी.
10 लाख में नेक्सॉन ईवी
टाटा मोटर्स
की नेक्सॉन ईवी देश की सबसे सफल इलेक्ट्रिक कार है. मौजूदा वक्त में इसकी एक्स शो रूम कीमत 14.74 लाख से 19.94 लाख रुपये के बीच है. इस गाड़ी में 30.2 kWh की बैटरी है जो पूरी तरह चार्ज होने की स्थिति में अधिकतम 325 किमी तक दौड़ सकती है. अब आते हैं इलेक्ट्रिक कार बाजार के गणित पर. मौजूदा वक्त में कार की कुल लागत का करीब 40 फीसदी खर्च बैटरी पर होता है यानी करीब 15 लाख की नेक्सॉन में करीब छह लाख की बैटरी है. बाकी नौ लाख रुपये में पूरी कार तैयार होती है. अगर बैटरी की कीमत आधी हो जाए, जैसा कि रिपोर्ट में दावा किया गया है तो इस एसयूवी की
बैटरी
तीन लाख में आ जाएगी. लेकिन, यहां इसी अनुपात में कार का पूरा ढांचा तैयार करने की लागत में कमी नहीं आएगी. वह लगात करीब-करीब उतना ही यानी नौ लाख रहेगी. ऐसे में बैटरी की कीमत में कटौती के बाद नेक्सॉन ईवी की कीमत 10 से 12 लाख रुपये तक आ सकती है.
छोटी कारों के लिए वरदान
नेक्सॉन
ने एक बेहतरीन कॉम्पैक्ट एसयूवी है. उसकी बॉडी और फीचर्स शानदार है. लेकिन, जब हम एंट्री लेवल इलेक्ट्रिक कारों की बात करेंगे तो बैटरी और कार की बॉडी पर खर्च का अनुपात 40:60 का नहीं रहेगा. ऑल्टो जैसी कार की बॉडी पर काफी कम खर्च होगा. ऐसे में अगर नेक्सॉन की बैटरी को ही ऑल्टो में फिट करवाया जाए तो भी उसकी कीमत पेट्रोल कारों से अधिक नहीं होगी. यानी आने वाले समय में पेट्रोल ऑल्टो के दाम में आपको इलेक्ट्रिक ऑल्टो मिल सकती है.
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