अंबेडकर अस्पताल: 10 करोड़ मिले फिर भी लीवर, किडनी और दिल की जांच नहीं हो रही, अभी और भटकना होगा मरीजों को Newshindi247

अंबेडकर अस्पताल: 10 करोड़ मिले फिर भी लीवर, किडनी और दिल की जांच नहीं हो रही, अभी और भटकना होगा मरीजों को Letest Hindi News

रायपुरएक दिन पहले

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रिपोर्ट जल्दी नहीं मिल रही फिर भी लोग दे रहे हैं बल्ड सैंपल।

अंबेडकर अस्पताल आने वाले गरीब मरीजाें काे लीवर, किडनी, शुगर और दिल की जांच करवाने के लिए अभी और भटकना पड़ेगा। अस्पताल प्रशासन को खून की पैथालॉजी जांच के लिए जरूरी केमिकल री-एजेंट नहीं मिला है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने 10 करोड़ का बजट देने के साथ ही छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन सीजीएमएससी को री-एजेंट खरीदी की अनुमति दे दी है, लेकिन छूट एक महीने की मोहलत के साथ मिली है। 31 मार्च के पहले खरीदी करनी होगी, लेकिन इसका टेंडर तकनीकी पेंच में फंस गया है। इसी वजह से अभी तक खरीदी के आर्डर ही नहीं दिए जा सके हैं। कंपनियां भी सप्लाई के लिए आगे नहीं आ रही हैं।

सीजीएमएससी की ओर से टेंडर जारी कर दिया गया है। पड़ताल में पता चला है कि हर जांच के लिए अलग-अलग री-एजेंट की जरूरत होती है। कुछ री-एजेंट सप्लाई करने वाली कंपनियां आगे नहीं आ रही हैं। उन्होंने टेंडर में शामिल होने से मना कर दिया है। कुछ कंपनियां टेंडर के नियमों में फंसने की वजह से इसमें हिस्सा नहीं ले पा रही है। सीजीएमएससी के अफसरों का कहना है कि तकनीकी दिक्कतों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। इस वजह से देरी हो रही है। हालांकि पूरा अमला इस बात से चिंतित है कि री-एजेंट खरीदी के लिए केवल एक महीने की अस्थायी अनुमति मिली है। इस अवधि में अगर खरीदी नहीं की गई तो मरीजों को पता नहीं कब तक भटकना होगा।

देखिए… एक भी जरूरी जांच नहीं हो रही

  • एलएफटी- लीवर फंक्शन से संबंधित जांच
  • आरएफटी- किडनी से संबंधित सभी जांच
  • सीआरपी- शरीर के इंफेक्शन से संबंधित जांच
  • लिक्विड प्रोफाइल- कालेस्ट्राल व अन्य जांच
  • हीमोग्लोबीन- शरीर में खून की मात्रा की जांच
  • थायराइड और अन्य तरह की जांच

24 घंटे में मिलने वाली रिपोर्ट 4-5 दिन में भी नहीं मिल रही
अंबेडकर अस्पताल में पिछले करीब छह महीने से री-एजेंट नहीं है। री-एजेंट ऐसा जरूरी केमिकल है, जिसे खून की पैथालॉजी जांच के दौरान इस्तेमाल किया जाता है। हर तरह की जांच में अलग-अलग तरह के री-एजेंट की जरूरत पड़ती है। इसके लिए खून की जांच संभव नहीं है। अस्पताल में स्टॉक खत्म होने के बाद मरीजों के सैंपल लेकर जिला अस्पताल की हमर लैब भेजा जा रहा है। रोज औसतन 500 से ज्यादा सैंपल जिला अस्पताल की लैब भेजे जा रहे हैं। जो रिपोर्ट 24 घंटे या दो तीन घंटे में ही मिल जाती है, वह भी चार-पांच दिन में नहीं मिल पा रही है। रिपोर्ट नहीं मिलने की वजह से कई मरीजों का इलाज अटक रहा है।

खरीदी की स्थायी अनुमति मिले इसका प्रस्ताव शासन को भेजा
री-एजेंट की खरीदी की स्थायी अनुमति के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं कि रायपुर सहित सभी मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में री-एजेंट की खरीदी कभी भी सीजीएमएससी कर सके इसकी अनुमति शासन से मिल जाए। सीजीएमएससी के जीएम उपकरण कमल पाटनवार का कहना है आला अफसर खुद इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। स्थायी अनुमति मिल जाने के बाद दिक्कत नहीं होगी।

मशीन सप्लाई करने वाली कंपनियों की खींचतान ने खड़ी की मुसीबत

केवल मशीनों की सप्लाई करने वाली कंपनियों और एजेंटों की खींचतान के कारण इतना बड़ा संकट पैदा हुआ है। छह महीने पहले तक मेडिकल कॉलेज में लोकल स्तर पर जब जिस री-एजेंट की जरूरत पड़ती थी, खरीदी कर ली जाती थी। कुछ कंपनियों को अपनी मशीनें सप्लाई करनी थी, इसलिए उनकी ओर से उद्योग विभाग में आपत्ति लगा दी गई। मेडिकल लैंग्वेज में री-एजेंट को प्रोप्रायटरी आयटम कहा जाता है। इसके लिए नियम है कि मशीन जिस कंपनी की है, उसी कंपनी से री-एजेंट लेना है। मेडिकल कॉलेज में जिस कंपनी की मशीन लगी है, उसकी ओर से तो यहां लोकल पर्चेस होने पर कोई आपत्ति नहीं की गई लेकिन दूसरी कंपनी ने आपत्ति कर दी।

वह अपनी मशीनें सप्लाई करना चाहती है। उसी आपत्ति की वजह से सप्लाई रोकनी पड़ी। पैथालॉजी और बायोकेमेस्ट्री विभाग के विशेषज्ञों का कहना है अस्पताल में जो मशीन लगी है, उसमें एक साा पांच-छह सौ तक सैंपल की जांच की जा सकती है। लेकिन जो कंपनी अपनी मशीन सप्लाई करने के लिए प्रयास कर रही है, उसमें केवल 60-70 सैंपल की जांच एक समय में की जा सकती है।

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Post Credit :- www.bhaskar.com
Date :- 2023-03-14 23:15:59

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