इंदौर के फर्जी डिप्टी कलेक्टर की असली कहानी: एक दर्जन से ज्यादा को बनाया शिकार, कार पर लालबत्ती लगाकर करता था रंगदारी Newshindi247

इंदौर के फर्जी डिप्टी कलेक्टर की असली कहानी: एक दर्जन से ज्यादा को बनाया शिकार, कार पर लालबत्ती लगाकर करता था रंगदारी Letest Hindi News
इंदौर24 मिनट पहले
इंदौर क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार फर्जी डिप्टी कलेक्टर मुकेश सिंह के बारे में नया खुलासा हुआ है। म्यूजिक स्टूडियो चलाने वाले हिमांशु के अलावा करीब एक दर्जन से अधिक लोगो को ठगी का शिकार बना चुका है। हिमांशु से पांच लाख रुपए की ठगी करने से पहले वह चार लोगों से लगभग 40 लाख रुपए की ठगी कर चुका है। हिमांशु को मुलाकात के डेढ़ साल बाद ही पता चल गया था कि मुकेश फर्जी अफसर है। लेकिन वह हमेशा रुपए देने की बात पर झांसा देकर टालता रहा। पढ़िए रुपए लौटाने के नाम पर बनाता था कैसे-कैसे बहाने…
इससे पहले जान लीजिए कैसे मकान मालिक तक को ले रखा था झांसे में
क्राइम ब्रांच की गिरफ्त में आए नकली डिप्टी कलेक्टर मुकेश सिंह से पुलिस ने उसकी मानव अधिकार आयोग की नेम प्लेट लगी कार भी जब्त कर ली है। मुकेश इसी कार पर लाल बत्ती लगाकर रंगदारी करता था। वह इंदौर में शीतल नगर में किराए के घर में रहता था। पेशे से किसान पिता ने उसे पढ़ाई के लिए बाहर भेजा। लेकिन अफसर नही बन पाया तो ठगी करने लगा। मकान मालिक को भी उसने अपने अफसर होने की बात कही थी। बताया जा रहा है कि आरोपी मुकेश 4 अन्य लोगों को भी जमीन और शासकीय पट्टे दिलाने के नाम पर 40 लाख ठग चुका है। पुलिस उससे लगातार पूछताछ कर ठगी का शिकार हुए लोगों की जानकारी निकाल रही है।
गाने का शौकीन ठग कई किस्तों में ले चुका था लाखों रुपए
पीड़ित हिमांशु ने बताया कि उसका इंदौर के पिपल्याहाना इलाके में म्यूजिक स्टूडियो है। आरोपी मुकेश गाने का शौकीन है। उससे पहली बार स्टूडियो में ही मुलाकात हुई थी। बातचीत के दौरान मुकेश ने भरोसे में लेकर करीब डेढ़ साल में कई किश्तों में लाखों रुपए ले लिए। लेकिन ट्रेनिंग के साथ नियुक्ति पत्र नही मिलने के चलते हिमांशु और उसके रिश्तेदार शशांक ने अपने परिचित के माध्यम से मुकेश सिंह की जानकारी निकाली। जिसमें इंदौर में उसकी पोस्टिंग नही होने की बात पता चली। इसके बाद मुकेश सिंह ने भोपाल में पदस्थ होने की बात की। लेकिन वहां भी उसकी जानकारी नही मिली। हिमांशु ने परेशान होकर आखिर में रुपए का तगादा लगाना शुरू किया। पिछले एक साल से वह हिमांशु को रुपए देने में टाल मटोल करने लगा। इसके बाद उसने स्टूडियो पर आना भी बंद कर दिया। डिप्टी कलेक्टर के नकली होने की जानकारी मिली तो हिमांशु ने आपत्ति ली। तब मुकेश ने कहा कि मैं डिप्टी कलेक्टर ही हूं। पर मैंने किसी को थप्पड़ मार दिया था। उस घटना की शिकायत भोपाल हो गई थी। इसके बाद मेरी पोस्टिंग मानव अधिकार विभाग में कर दी गई है।
बहन की शादी के बाद, पिता का हार्वेस्टर बेच कर रुपए देने का किया वादा
दिसंबर माह में मुकेश सिंह को हिमांशु ने कहा कि उसकी बहन की शादी के लिये वह होशंगाबाद जा रहा है। शादी होने के बाद वह उसके रुपए चुका देगा। दिसंबर निकलने के बाद हिमांशु ने मोबाइल पर संपर्क किया और पुलिस से शिकायत करने की धमकी दी। इस पर मुकेश ने कहा कि उसकी नौकरी को लेकर दिक्कत हो जाएगी। वह कुछ दिन और रुके। जिसके बाद मुकेश ने अपने पिता का हार्वेस्टर बेचकर रुपए देने की बात कही और हिमांशु काे फिर से भरोसे में ले लिया।
दोनों मोबाइल किए बंद
मुकेश सिंह ने इसके बाद दोनों मोबाइल बंद कर लिए। हिमांशु अपनी मौसी के बेटे शशांक के साथ मुकेश के शीतल नगर वाले घर पर भी गया। जहां से उसके गांव में ही होने की जानकारी लगी। इसके बाद अपने परिचित के माध्यम से क्राइम ब्रांच के अफसरों से चर्चा की। मुकेश सिंह की जानकारी निकालने के बाद टीम उसे पकड़कर इंदौर ले आई। बताया जा रहा है कि मुकेश सिंह का पीएससी मेन्स में सिलेक्शन नहीं हो पाया, इस वजह से उसने ठगी का रास्ता चुना।
भाई इलेक्ट्रीशियन, पिता करते है छोटा-मोटा काम
हिमांशु ने अपने रिश्तेदारों और परिचितों से अपने भरोसे पर मुकेश सिंह को रुपए दिए थे। उसके इंदौर से भागने के बाद पता चला कि उसने कई लोगो के साथ इसी तरह से ठगी की है। हिमांशु का परिवार काफी सामान्य है। पिता छोटा-मोटा काम करते हैं। वही छोटा भाई इलेक्ट्रीशियन है। क्राइम ब्रांच के अफसरों के मुताबिक मुकेश सिंह ऐसे ही लोगो को अपना निशाना बनाता था। जो जरूरत मंद हो ताकि उसकी शिकायत ऊपर तक नही पहुंच सके।
Post Credit :- www.bhaskar.com
Date :- 2023-03-16 01:08:10