बायोडीजल प्रोजेक्ट की हकीकत: रतनजोत 1650 वर्ग किमी में लगा 350 करोड़ खर्च, पर 5 साल में प्रोजेक्ट बंद, अब सिर्फ ठूंठ और बंजर Newshindi247

बायोडीजल प्रोजेक्ट की हकीकत: रतनजोत 1650 वर्ग किमी में लगा 350 करोड़ खर्च, पर 5 साल में प्रोजेक्ट बंद, अब सिर्फ ठूंठ और बंजर Letest Hindi News

रायपुरएक दिन पहलेलेखक: प्रशांत गुप्ता

  • कॉपी लिंक

पूरे प्रदेश में योजना का हाल इस तस्वीर जैसा

छत्तीसगढ़ की तत्कालीन भाजपा सरकार ने नारा दिया था ‘डीजल नहीं अब खाड़ी से, डीजल मिलेगा बाड़ी से’। इसके लिए प्रदेशभर में 1650 वर्ग किमी (1.65 लाख हेक्टेयर) सरकारी जमीन पर रतनजोत के 27.74 लाख पौधे लगाए गए। दावा यह था कि छत्तीसगढ़ देश को 2014-15 तक अपनी रतनजोत योजना से आत्मनिर्भर कर देगा। मगर, नतीजा यह है कि इन पौधों से एक बार भी रतनजोत बीज नहीं टूटे, न दरें तय हुईं। जो बीज तोड़े गए वे सिर्फ सरकारी शोध में इस्तेमाल हुए।

योजना 2005 में शुरू हुई, 2010 में फ्लॉप मान ली गई। आज 18 साल बाद जहां-जहां पौधरोपण हुआ, वहां सिर्फ झाड़ियां ही रह गई हैं। इस योजना में 350 करोड़ रुपए से भी अधिक खर्च हुए थे। दैनिक भास्कर ने योजना और पौधों की स्थिति को लेकर ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की। साल 2003 में बायोडीजल का कंसेप्ट आया।

2005 में छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल डेवलपमेंट अथॉरिटी (सीबीडीए) का गठन किया। रतनजोत से बायोडीजल की शुरूआत यहीं से हुई। 2008 में क्रेडा ने इंडियन ऑल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के साथ एग्रीमेंट साइन किया, इन्हें जमीन लीज पर दी गईं। निजी कंपनियों के साथ मिलकर सरकार ने 6 हजार हेक्टेयर में पौधरोपण किया। उधर, कृषि, वन, उद्यानिकी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास के तहत लाखों पौधे रोपे गए। रोजगार गारंटी समेत सभी सरकारी योजनाओं के तहत रतनजोत पौधरोपण हुआ।

इसमें कितनी राशि खर्च हुई, इसका कहीं-कोई एग्जेक्ट रिकॉर्ड नहीं मिला। न अधिकारी इस पर बात करने को तैयार हैं। नतीजा ये हुआ कि 2010 में कुछ दिनों तक पूर्व मुख्यमंत्री की गाड़ी बायोडीजल से चली। फिर बायोडीजल मिला ही नहीं। 2010 में वन विभाग ने अपने सालाना पौधेरोपण की सूची से रतनजोत को बाहर कर दिया। 24 अगस्त 2016 में विधानसभा की लोकलेखा समिति के समक्ष अफसरों ने इस योजना के असफल होने स्वीकारा है। जिन कंपनियों के साथ एग्रीमेंट हुआ, वे भाग गईं। उन पर कोई कार्रवाई भी नहीं हुई।

पेंड्रा से रिपोर्ट – 27 हेक्टे. में प्लांटेशन पर 1-2 पौधों में ही बीज

भास्कर ने गौरेल्ला-पेंड्रा-मरवाही में 3000 हेक्टेयर में डेढ़ दशक पहले हुए रतनजोत पौधरोपण का जायजा लिया। पेंड्रा से 10 किमी दूर अंजनी गांव में 27 हेक्टेयर सरकारी बंजर जमीन में पौधे लगे थे। अब वहां 1-2 पौधों में ही फल और इनमें बीज मिले, बाकी सब टहनियां और ठूंठ थे। ऐसा इसलिए क्योंकि इनकी देखरेख नहीं हुई। किसान एवं विशेषज्ञ पूरन छावारिया कहते हैं- यह पौधा साल में 3 बार फसल देता है, बशर्ते अच्छी देख-रेख हो।

मगर, देख-रेख के अभाव में पौधे सूख रहे हैं, ऊंचाई घट रही है, बीजों की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। उधर, हमारे सामने बड़ी संख्या में कटे हुए पौधे पड़े थे। पेंड्रा के अलावा बिलासपुर, रतनपुर, जशपुर, कोरबा, मानपुर मोहला तक से लेकर कई जिलों में लगाए गए थे। सभी जगह यही हाल है।

योजना इसलिए फेल
1. बिना किसी ठोस योजना के एक ही वैरायटी के पौधे लगाए गए।
2. पौधों की कोई देखभाल नहीं की गई। छंटाई तक नहीं।
3. बीज कलेक्शन की कोई योजना नहीं बनी।
4. खरीदी की दरें तय नहीं हुईं।

आगे राज्य की तैयारी
धान का कलेक्शन बढ़ा है। राज्य ने धान से बायोडीजल बनाने की अनुमति मांगी है।

एक्सपर्ट व्यू – डॉ. वीके गौर, रतनजोत विशेषज्ञ एवं रिटायर्ड प्रो., पं. जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि, जबलपुर

बायोडीजल ही डीजल का विकल्प, जो रतनजोत और अन्य बीजों से संभव है

मैं बतौर एक्सपर्ट छत्तीसगढ़ गया था, मैंने रतनजोत पौधरोपण को देखा है। इसमें कई खामियां हैं। सबसे बड़ी खामी है एक ही वैराइटी के पौधे लगाना और देखरेख न करना। आप चाहे जितना इलेक्ट्रिक और सोलर से चलने वाली गाड़ियां ले आएं लेिकन जब तक बैट्ररी है तब ही चलेंगी। आज बायोडीजल ही, डीजल का विकल्प है जो रतनजोत और अन्य बीजों से संभव है।

“रतनजोत से बने बायोफ्यूल से 2 बार सेना के विमान उड़े, इससे प्रमाणित होता है कि ये डीजल का सबसे बेहतर विकल्प है। ये प्रोजेक्ट फेल क्यों हुआ पता नहीं।”
-सुमित सरकार, सीईओ, सीबीडीए

“रतनजोत योजना में 2000 करोड़ खर्च हुए थे। सूखने की बात छोड़िए, अब पौधे बचे ही कहां हैं? इसे लेकर सरकार की कोई प्लानिंग नहीं है।”
-रविंद्र चौबे, कृषि मंत्री एवं छत्तीसगढ़ सरकार के प्रवक्ता

खबरें और भी हैं…

Post Credit :- www.bhaskar.com
Date :- 2023-03-17 22:30:26

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed