नारों का कारखाना: राज आया तो राजद ने अपने कारखाने का शटर गिराया, भाजपा ने चालू किया Newshindi247

नारों का कारखाना: राज आया तो राजद ने अपने कारखाने का शटर गिराया, भाजपा ने चालू किया Letest Hindi News

पटना27 मिनट पहलेलेखक: मधुरेश

  • कॉपी लिंक

फाइल फोटो।

पिछले विधानसभा चुनाव के दो खास नारे ‘तेजस्वी भव:’ और ‘नीतीशे कुमार’ एक-दूसरे पर टिके; साथ हुए, तो इसका मतलब यह नहीं है कि अब नारे नहीं बन रहे, नहीं लग रहे। खूब बन रहे, खूब लग रहे। बिहार विधानमंडल के बजट सत्र में पार्टियों का ‘नारा कारखाना’ गुलजार है। रोज दिन थोक उत्पादन और खपत। पॉलिटिकल मार्केट या मार्केटिंग के सिचुएशन के हिसाब से नया-नया प्रोडक्ट (नारा)।

अपराध, भ्रष्टाचार, रोजगार, बाढ़, सुखाड़, कुपोषण, अशिक्षा जैसे स्थाई मसलों से लेकर पुलिस गोलीकांड, लाठीचार्ज, अगलगी, दुर्घटना जैसे तुरंत के मसलों से जुड़े प्रोडक्ट्स। प्ले कार्ड पर सुनहरे अक्षरों में लिखे से लेकर जुबान पर बहुत तल्खी से चढ़े प्रोडक्ट्स। सड़क, चौराहा, सदन के प्रवेश द्वार से लेकर सदन के भीतर तक गूंजने वाले प्रोडक्ट्स। नारे, इसलिए प्रोडक्ट हैं कि इनके प्रोडक्शन की बाकायदा प्रक्रिया है। बिल्कुल फैक्ट्री या कारखाना जैसी, जिसमें मशीन की जगह दिमाग और हाथ काम करता है। देखिए…

नारा तय करने की जिम्मेदारी पार्टी विधायक दल को, दूसरे दिन की थीम रात में ही तय

भाजपाई कारखाना : रिकॉर्ड प्रोडक्शन

राजपाट में मशगूल भाजपा का नारा कारखाना बंद हो गया था। राज गया तो इसे चालू किया गया। इसका जिम्मा विधायक दल का है। दल के नेता विजय कुमार सिन्हा कहते हैं-’रात में ही दूसरे दिन की थीम तय हो जाती है। फौरी मसले पर तत्क्षण फैसला होता है। ज्यादातर नारा, विजय खुद तैयार करते हैं।

राजद के ‘प्रोडक्ट मैनेजर’ अब कृषि मंत्री

सबसे ऑर्गेनाइज्ड व हाईटेक नारा का कारखाना राजद का रहा है। आजकल इसका शटर डाउन है। वजह, राजद सरकार में है। कारखाना में काम के हिसाब से राजद विधायक कुमार सर्वजीत, ‘प्रोडक्ट मैनेजर’ की हैसियत में रहे। अब वे कृषि मंत्री हैं।

भाकपा माले : हुनर हाथ का

भाकपा माले, सरकार के साथ है, लेकिन नारा कारखाना बंद नहीं किया। उसका नारा सबसे सुंदर होता है। यह लिखावट की कारीगरी है। यह जिम्मेदारी परवेज, प्रकाश आदि निभा रहे हैं।

कांग्रेस, हम का कारखाना बंद

कांग्रेस, हम, भाकपा व माकपा सरकार में है। उनका नारा का कारखाना बंद सा है। हां, मोदी की सरकार के विरोध के लिए कभी-कभार इन चारों पार्टियों के अलावा राजद भी नारेबाजी करता है।

नारे वही, जुबानें नई

कुछ नारे स्थाई भाव के हैं। वर्षों से लग रहे हैं। राज किसी का हो, यह नारा सरकार की आलोचना में चल रहा है-’लाठी-गोली की सरकार नहीं चलेगी, नहीं चलेगी।’ कुछ समझ न आए और तत्काल विरोध भी करना है, तो सत्ता पक्ष को सीधे 74 के आंदोलन के हवाले चेता दिया जाता है-’सन् चौहत्तर भूल न जाना, सत्ता मद में डूब न जाना।’

खबरें और भी हैं…

Post Credit :- www.bhaskar.com
Date :- 2023-03-18 22:43:35

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed