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- Muslim Candidates Are Missing In The List Of All The Parties Wooing Muslim Voters In Telangana, Read The Hindu Editorial Of 20th November.
2011 की जनगणना के अनुसार तेलंगाना में मुस्लिम आबादी का प्रतिशत 12.68 है, लेकिन इसके बावजूद भी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) को छोड़कर प्रमुख पार्टी लिस्ट में मुस्लिम कैंडिडेट की संख्या बहुत कम हैं।
यदि हम रुझान की बात करें, तो वो भी तब, जब कांग्रेस और भारत राष्ट्र समिति (BRS) दोनों ही पार्टियां, तेलंगाना विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटरों को आकर्षित करने में लगी हुई हैं।
आधिकारिक डेटा के अनुसार, 1961 में तेलंगाना की जनसंख्या 1.27 करोड़ थी, जिसमें 13 लाख मुस्लिम आबादी शामिल थी ।
2011 के डेटा सेंसस के अनुसार, राज्य की जनसंख्या 3.50 करोड़ से ज्यादा हो गई और इसमें मुस्लिम आबादी 44 लाख से ज्यादा है।
हालांकि, इन डेटा को देखें तो,आज मुस्लिम समुदाय की आबादी 50 लाख को पार कर जाएगी।
खराब प्रतिनिधित्व
BRS ने 119 विधानसभा सीटों में सिर्फ तीन बार मुस्लिम कैंडिडेट को मैदान में उतारा है, जिसका मतलब ये है कि उनकी भागीदारी 2.5 %है।
इनमें बोधन विधानसभा से मो. शकील आमिर विधायक हैं। दो और विधायक चारमीनार क्षेत्र से सलाहुद्दीन लोदी और बहादुरपुर से इनायत अली बाकरी हैं।
कांग्रेस का प्रदर्शन BRS की तुलना में थोड़ा बेहतर है, इसने छह मुस्लिम कैंडिडेट को मैदान में उतारा, जो कि 5% से थोड़ा ज्यादा है।
इसमें तीन जाने माने चेहरे; जुबली हिल्स से मुरादाबाद के पूर्व सांसद और क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन, निजामाबाद (शहरी) से अनुभवी नेता और पूर्व मंत्री मोहम्मद अली शब्बीर, और फिरोज खान, जो तीसरी बार नामपल्ली सीट से चुनाव लड़ेंगे।
अन्य तीन में, कारवां से उस्मान अल हाजिरी, चारमीनार से मुजीबुल्लाह शरीफ और मलकपेट से शेख अकबर हैं, जो पार्टी से चुनाव लड़ेंगे।
राज्य में सबसे ज्यादा मुस्लिमों को मैदान में उतारने वाली पार्टी AIMIM है, उसने जिन नौ उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, उनमें से आठ मुस्लिम समुदाय से हैं।
डेटा को ध्यान से देखने से पता चलता है कि ज्यादातर मुस्लिम कैंडिडेट को ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम क्षेत्र से मैदान में उतारा गया है, जो काफी हद तक शहरी एरिया है।
दूसरा, ऐसा लगता है कि पार्टियों ने हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र के कैंडिडेट को, विधानसभा चुनाव में असमान रूप से मुस्लिम कैंडिडेट को मैदान में उतारा है। इन सीटों में चारमीनार, मलकपेट, कारवां और बहादुरपुरा शामिल हैं।
हालांकि, उम्मीदवारों को, चाहे वे स्वतंत्र रूप से या किसी पार्टी के सदस्य के रूप में चुनाव लड़ रहे हों, किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतरने का अधिकार है। कम से कम अब तक, इन चार क्षेत्रों में संभावनाएं भारी रूप से AIMIM के लिए देखी जा रही हैं। ये वास्तव में AIMIM का गढ़ माने जाते हैं।
वहीं, नामपल्ली और जुबली हिल्स निर्वाचन क्षेत्र, जो हैदराबाद लोकसभा सीट का हिस्सा नहीं हैं, AIMIM, कांग्रेस और BRS के बीच एक दिलचस्प और त्रिकोणीय लड़ाई देखी जा सकती है।
संख्या में पर्याप्त
डेटा ये भरोसा दिलाते हैं कि 119 विधानसभा में कम से कम 25 सीटों पर पर्याप्त मुस्लिम वोटर हैं। है। इन क्षेत्रों में खैरताबाद, अंबरपेट, राजेंद्रनगर, महेश्वरम, निजामाबाद (शहरी), बोधन, संगारेड्डी, निर्मल और आदिलाबाद शामिल हैं।
ऐसी संभावना है कि निजामाबाद के मिले-जुले जिलों के निर्वाचन क्षेत्रों में सामुदायिक वोट मायने रखेंगे, जहां आधिकारिक डेटा के अनुसार, मुस्लिम आबादी 15% से ज्यादा है।
रंगारेड्डी और मेडक मुसलमानों की आबादी जहां लगभग 12% है, और आदिलाबाद जहां मुस्लिम 10% से ज्यादा हैं। विश्लेषकों और कार्यकर्ताओं ने लंबे समय से विधानसभा और संसद में मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधित्व में सुधार की बात दोहराई है।
हाल ही के मामले में, पार्टी कैंडिडेट की लिस्ट से ये मालूम चलता है कि मुस्लिम समुदाय को बहुत कम सीटें मिली हैं, और AIMIM ने इस अंतर को भर दिया है।
BRS के मोहम्मद शकील आमिर और कांग्रेस एमडी अली शब्बीर के आलाव पार्टियों ने हैदराबाद के अलावा बाकी जिलों से किसी भी मुस्लिम कैंडिडेट को मैदान में नहीं उतारा है।
मुस्लिम समुदाय विधानसभा और संसद में बेहतर हिस्सेदारी चाहता है। सच ये है कि पार्टियों ने मुस्लिम आबादी को देखते हुए कैंडिडेट नहीं उतारे हैं, और BJP ने तेलंगाना में एक भी मुस्लिम कैंडिडेट नहीं खड़ा किया है र ये डेमोक्रेसी के लिए एक अच्छा संकेत नहीं है।
लेखक: सैय्यद मोहम्मद
Source: The Hindu
Post Credit : – www.bhaskar.com