Akelli Review: इराक के सिविल वॉर में फंसी ‘ज्योति’, ISIS से जूझती है ‘अकेली’, रोमांचक है ये कहानी

Akelli Review: इराक के सिविल वॉर में फंसी ‘ज्योति’, ISIS से जूझती है ‘अकेली’, रोमांचक है ये कहानी

मुंबईः

नुसरत भरूचा आखिरी बार फिल्म ‘जनहित में जारी’ में नजर आई थीं. नुसरत, इंडस्ट्री की उन एक्ट्रेसेस में से हैं, जिन्होंने प्यार का पंचनामा, सोनू के टीटू की स्वीटी, ड्रीम गर्ल जैसी फिल्मों में अपनी एक्टिंग से लाखों दिल जीत चुकी हैं. नुसरत ने हमेशा चैलेंजिंग रोल चुने हैं. बिना किसी गॉडफादर के उन्होंने इंडस्ट्री में अपने लिए जगह बनाई है और इसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए वह कम है. अब अपनी दमदार अदाकारी लेकर एक बार फिर नुसरत भरुचा दर्शकों के सामने हाजिर हो गई हैं. नुसरत की फिल्म ‘अकेली’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है.

अकेली की कहानी एक ऐसी भारतीय लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है, जो इराक के सिविल वॉर में फंस जाती है. फिल्म का निर्देशन क्वीन और कमांडो 3 जैसी फिल्मों में बतौर सहायक निर्देशक काम कर चुके प्रणय मेश्राम ने किया है, जो बतौर निर्देशक लंबी छलांग है.

अकेली की कहानी

नुसरत भरुचा की ‘अकेली’ की कहानी उस दौर की है जब बीजेपी की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज विदेश मंत्री थीं. इस दौरान उन्होंने विदेशों में फंसे कई भारतीयों की घर वापसी कराई थी. इस बार निर्देशक के कैमरे ने इराक के हालातों को कैद किया है. फिल्म में केदारनाथ हादसे में मारे गए ऐसे लोगों की भी कहानी हैं, जिन्हें बीमा कंपनियों ने इसलिए बीमा देने से इनकार कर दिया था, क्योंकि उनके शव बरामद नहीं किए जा सके थे. ऐसे ही एक परिवार की युवती ज्योति परिवार का कर्ज चुकाने और घर खर्च चलाने के लिए विदेश का रुख करने का फैसला करती है, क्योंकि देश में लगी नौकरी वह एक बुजुर्ग की नौकरी बचाने के लिए पहले ही कुर्बान कर देती है.

घर में ज्योति मस्कट जाने की बात कहती है, जबकि वह अच्छे वेतन के लालच में मोसुल (इराक) में काम करने पहुंचती है. वह मोसुल पहुंचती है और कुछ ही दिनों बाद यहां आईएसआईएस का हमला हो जाता है. यहां उसे कई दूसरी औरतों के साथ बंधक बना लिया जाता है और ‘हरम’ में पहुंचा दिया जाता है. इसके बाद ज्योति के साथ क्या-क्या होता है, वह कैसे अपने घर वापस आती है, आती भी है या नहीं, ये सब जानने के लिए आपको फिल्म देखना होगा.

इससे पहले ‘द केरल स्टोरी’ में भी खाड़ी देशों में सक्रिय आतंकवादियों के युवतियों पर किए जाने वाले अत्याचार और अपहरण की कहानी देखने को मिली थी. 72 हूरों का सपना देखने वाले आतंकवादियों के खौफनाक रवैये की कहानी धरती पर मौजूद हूर के नजरिए से देखी जाए तो किसी की भी रूह कांप जाएगी. फिल्म में एक सीन ऐसा भी है, जहां आतंकवादी इस्लाम को मानने वाले लोगों को ही शिया और सुन्नी में बांटकर कत्लेआम मचा देते हैं. नुसरत भरुचा की ‘अकेली’ कई ऐसे सवाल उठाते चलती है, जिसके जवाब शायद ही किसी के पास हों. फिल्म की कहानी अच्छी है, लेकिन यहां ज्योति का तेज कुछ कम पड़ जाता है. फिल्म में कुछ ऐसे सीन भी हैं, जिन्हें देखकर किसी की भी रूह कांप जाए.

फिल्म का डायरेक्शन

डायरेक्शन की बात करें तो अकेली सिनेमा का एक साहसिक प्रयोग है. प्रयोग चाहे सफल हों या फेल हो जाएं, लेकिन इसे करते रहने का एक अलग ही मजा है. इस हिसाब से फिल्म के डायरेक्टर प्रणय मेश्राम तारीफ के हकदार हैं. एक आतंकवादी को सोते में हथकड़ियां पहनाने और एक ही स्विच से पूरे हवाई अड्डे की लाइट बंद कर देना जैसे कुछ सीन छोड़ दें तो फिल्म की कहानी अपनी रफ्तार बनाए रखती हैं. हालांकि, फिल्म के डायलॉग कुछ कमजोर हैं. उज्बेकिस्तान की लोकेशन में बनाए गए मोसुल का फिल्मांकन पुष्कर सिंह ने किया है, जो बेहतरीन है. फिल्म का संगीत और संपादन फिट नहीं बैठता है.

ज्योति के रोल में कैसी हैं नुसरत भरुचा?

अब बात करते हैं फिल्म की लीड एक्ट्रेस नुसरत भरुचा की, जो फिल्म की नायक भी हैं. नुसरत कभी भी नए निर्देशकों के साथ काम करने में नहीं हिचकिचाईं. हालांकि, ये बात अलग है कि जब ये निर्देशक हिट हो जाते हैं तो नुसरत को भूल जाते हैं. पिछली फिल्मों में अपनी काबिलियत साबित कर चुकीं नुसरत ने एक बार फिर अपनी अदाकारी से द्रशकों को खुश कर दिया है. हालांकि, गदर 2 और ओएमजी 2 की आंधी के बीच, अकेली टिक पाएगी या नहीं, ये भी देखने वाली बात है.

hindi.news18.com

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