नई दिल्ली. 70 के दशक में दो बड़े स्टार्स उभरकर आ रहे थे. वो स्टार्स थे अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा. वो दौर इनका आ रहा था और राजेश खन्ना, दिलीप कुमार जैसे बड़े स्टार्स के करियर पर अब संकट के बादल मंडराना शुरु हो गए थे. दोनों ने कई फिल्में भी साथ में की, लेकिन इतिहास इनकी फिल्म ‘दोस्ताना’ ने रचा, वो दोनों की जोड़ी फिर नहीं रच पाई. आपने इस फिल्म में दोनों के लड़ाई झगड़े के किस्से को सुना होगा, लेकिन आज हम आपको फिल्म से जुड़ी वो अनसुनी बातें बताने जा रहे हैं, जो आपने शायद ही पहले कभी सुनी होगी.
‘दोस्ताना’ नाम से दो फिल्में हैं, एक जो 1980 में रिलीज हुई और दूसरी साल 2008 में. आज बात कर रहे हैं 80 के दशक में रिलीज हुई ‘दोस्ताना’ की, जिसमें सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा नजर आए थे. दोनों हीरो अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा संघर्ष के दिनों के साथी रहे हैं.
कई फिल्मों में नजर आ चुके हैं बिग बी और शॉटगन
फिल्म ‘परवाना’ में पहली बार जोड़ी साथ दिखी. इसके बाद दोनों ने ‘रास्ते का पत्थर’ में भी साथ काम किया. इन गुमनाम सी फिल्मों के अलावा अमिताभ और शत्रुघ्न सिन्हा ने ‘काला पत्थर’, ‘दोस्ताना’, ‘शान’ और ‘नसीब’ में साथ काम किया है. इन फिल्मों के बारे में खासियत ये रही कि हर बार शत्रुघ्न सिन्हा को अमिताभ बच्चन से ज्यादा तालियां मिलीं.
शत्रुघ्न सिन्हा से पहले फाइनल हुआ था इस हीरो का नाम
सलीम-जावेद की हिट जोड़ी ने एक बार फिर से अपनी जादुई कलम से एक कहानी लिखा. कहानी को नाम दिया गया ‘दोस्ताना’. बतौर प्रोड्यूसर अपनी पहली फिल्म के लिए यश जौहर पहले देव आनंद के भाई विजय आनंद को ही बतौर निर्देशक लेना चाहते थे. दोनों के बीच इसे लेकर बैठके भी हुईं. लेकिन विजय आनंद उन दिनों ‘राम बलराम’ और ‘राजपूत’ जैसी फिल्मों में बिजी थे तो मामला राज खोसला पर आकर अटक गया. तब तक फिल्म के हीरो अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना थे. लेकिन, जब राज खोसला ने फिल्म ‘दोस्ताना’ की स्क्रिप्ट पढ़ी तो उन्हें लगा कि इसमें वकील का जो रोल विनोद खन्ना करने जा रहे हैं, उसमें तो जान ही नहीं है और ये रोल विनोद खन्ना के स्टारडम के हिसाब से ठीक भी नहीं है. राज खोसला ने इस बारे में यश जौहर से बात की तो यश जौहर ने उनसे ही पूछ लिया कि विनोद की जगह कौन सा दूसरा हीरो फिट बैठेगा, तो राज खोसला ने तपाक से शत्रुघ्न सिन्हा का नाम ले लिया.
अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा संघर्ष के दिनों के साथी रहे हैं.
शत्रुघ्न सिन्हा ने फिल्म से बटोरी खूब तालियां
अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा के बीच फिल्म ‘दोस्ताना’ में तमाम दमदार सीन्स है. राज खोसला को भले विनोद खन्ना इस रोल में फिट न लगे हों, लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा के लिए जो सीन उन्होंने रचे, वे काबिले तारीफ हैं. शत्रुघ्न सिन्हा ने भी इस फिल्म में खूब तालियां बटोरी हैं. फिल्म से जुड़ा एक किस्सा आपको बताते हैं, शत्रुघ्न सिन्हा के मेकअप मैन प्रसाद का इस फिल्म के दौरान ही निधन हुआ था और उसका अंतिम संस्कार करने के बाद से वह शूटिंग पर आ नहीं रहे थे.
‘लल्ला, बस करते हैं. इससे बेहतर नहीं हो पाएगा’
यश जौहर ने एक दिन उन्हें फोन करके पूछा कि महबूब स्टूडियो में लगा फिल्म का सेट हटाया जाना है और अमिताभ बच्चन की भी बस आखिरी डेट इस शेड्यूल की बची है तो अगर वह हां करें तो अगले दिन शूटिंग रखी जा सकती है. शत्रुघ्न सिन्हा को देर से आने की आदत थी और अमिताभ बच्चन को हमेशा वक्त से पहुंचने की. उस दिन शूटिंग दो बजे खत्म होनी थी, उसके बाद सेट तोड़ा जाना था. शत्रुघ्न ठीक डेढ़ बजे स्टूडियो में दाखिल हुए. 10 मिनट में तैयार हुए. अपनी लाइनें वह पहले से तैयार करके आए थे और राज खोसला से बोले, ‘टेक करते हैं.’ सब लोग परेशान कि न रिहर्सल, न कोई लाइट मार्किंग, सीधे टेक, पर राज खोसला को भरोसा था. फिल्म के सबसे अहम इस सीन को शत्रुघ्न ने वन टेक में ओके किया. सबने खूब तालियां बजाईं. शत्रुघ्न ने इसका एक टेक और देना चाहा. कैमरा ऑन भी हुआ, लेकिन अमिताभ ने बीच सीन में ही उन्हें रोक लिया. वह शत्रुघ्न के गले मिले और बोले,उ ‘लल्ला, बस करते हैं. इससे बेहतर नहीं हो पाएगा’.
शत्रुघ्न सिन्हा बन गए थे अमिताभ के लिए खतरा!
अपनी आत्मकथा में शत्रुघ्न सिन्हा ने अमिताभ बच्चन को लेकर खूब बातें की हैं. वे ये भी बता चुके हैं कि कैसे अमिताभ बच्चन की फिल्मों से उन्हें ऐन मौके पर इसलिए बाहर कर दिया जाता था क्योंकि अमिताभ उनकी मौजूदगी को अपने लिए खतरा मानते थे. दोनों का दोस्ताना फिल्म ‘दोस्ताना’ की तरह असल जिंदगी में भी लंबे अरसे तक बिगड़ा रहा, लेकिन अब फिर दोनों दोस्त हैं और अच्छे दोस्त हैं.
कमाई के मामले में रचा था इतिहास
साल 1980 में रिलीज हुई फिल्मों में ‘दोस्ताना’ कमाई के मामले में फिल्म ‘दोस्ताना’ चौथे नंबर पर रही थी. एक खास बात फिल्म से ये भी जुड़ी है कि राज खोसला ने ‘दोस्ताना’ में भी अपनी पहली हिट फिल्म ‘सीआईडी’ का वह सीन दोहराया जिसमें पूछताछ करते इंस्पेक्टर पर एक कैदी की मौत का इल्जाम लग जाता है हालांकि फिल्मफेयर पुरस्कारों की अंदरूनी सियासत के चलते फिल्म ‘दोस्ताना’ को एक भी पुरस्कार नहीं मिला था.
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