इरफान खान के बेटे बाबिल ने झेले कई रिजेक्शंस: बोले- पहले बहुत प्रेशर लेता था कि लोग पापा से कंपेयर करेंगे, अब आदत हो गई-today bollywood latest news in hindi

इरफान खान के बेटे बाबिल ने झेले कई रिजेक्शंस: बोले- पहले बहुत प्रेशर लेता था कि लोग पापा से कंपेयर करेंगे, अब आदत हो गई-today bollywood latest news in hindi

4 मिनट पहलेलेखक: अमित कर्ण

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दिवंगत एक्टर इरफान खान के बेटे बाबिल भी अपनी पारी का आगाज कर चुके हैं। पिछले साल नेटफ्लिक्स पर उनकी ‘कला’ आई थी। अब उसी प्लेटफॉर्म पर उनकी फिल्म ‘फ्राइडे नाइट प्लान’ 1 सितंबर को रिलीज हो गई है। इसमें जूही चावला उनकी मां के रोल में हैं। फिल्म में अमृत जयन, आध्या आनंद और मेधा राणा भी मुख्य भूमिका में हैं। पेश है खास बातचीत:-

सिनेमा को लेकर आप सभी का पहला इंप्रेशन क्या था?

वत्सल:- तीन साल का था, जब पहली बार फिल्म देखने गया था। ‘हम हैं राही प्यार के’ थी वह जूही चावला जी की। मैं लकी मानता हूं, जो मेरी पहली पिक्चर में वो एक्ट कर रहीं हैं।

आध्या:- मैंने जो लाइफ की पहली फिल्म देखी, वह थी ‘बॉडीगार्ड’। वह देख सिनेमा से प्यार हो गया था। उससे मैं काफी प्रेरित हुई कि सिनेमा को ही करियर बनाना है।

बाबिल ने क्यों चुना, खास वजह रही?

बाबिल:- ये सवाल कैसे बदल गया? मैंने लगान के बारे में काफी कुछ सोच लिया था। मेरी तो पहली पिक्चर लगान थी। मैं तब बहुत छोटा था। तो बहुत ज्यादा तो याद नहीं। इतना बस कि आगे चलकर महसूस हुआ कि फिल्मों में बड़ी ताकत है किसी को जगाना है तो। बाकी मैंने क्यों चुना इसे, ये शायद मुझे इस वक्त पता नहीं। क्राफ्ट से प्यार था, ये तो अब समझ आ रहा।

मुझे परफॉर्म करना पसंद है। बचपन में मैं लोगों को इकट्ठा कर लेता था और परफॉर्म करता था। तब मुझे पता नहीं था कि मैं एक्ट कर रहा हूं। तब तो वह मेरे लिए खेलने जैसा था। उसके बहुत बाद पता चला कि खेलने और एक्टिंग में बड़ी समानता है।

पिता इरफान बेहतरीन कलाकार रहे। उनसे तुलना होने का डर था?

बाबिल:- जी हां काफी प्रेशर लेकर तो परफॉरम करता रहा हूं, क्योंकि कंपैरिजन होगा, वह जहन में रहता था। हालांकि अब धीरे धीरे मैं आदती हो चुका हूं। वरना पहले तो मैं बहुत प्रेशर लिया करता था। जबकि उस प्रेशर के साथ एक्ट करना तो बड़ा मुश्किल है। क्योंकि एक्टिंग ऐसी चीज है, जिसे मजे लेकर करना होगा। वरना वह बनावटी लगेगी।

मैं खुद भी बचपन से यही करना चाहता था। तब क्यों करना चाहता था, उसे अब महसूस कर एक्ट करने लगा हूं। मैं यकीनन आउटसाइडर नहीं हूं, मगर मैं स्टार का नहीं, इरफान का बेटा हूं। बेशक मुझे ऑडिशन मिलते हैं। मैं वहां जाता हूं और रिजेक्ट भी होता हूं।

शुरूआती प्रोजेक्ट्स से पहले कौन से प्रोजेक्ट्स हाथ नहीं लगे ?

मेधा:- इस इंडस्ट्री में आने के बाद समझ आया गया कि रिजेक्शन तो करियर का अहम हिस्सा रहने वाला है। साथ ही उसके चलते एक दूसरी आदत भी डेवलप हो गई कि जब कभी रिजेक्शन मिले तो उस का मतलब है कि खुद पर और काम किया जाए।

बाबिल:- मेरे ख्याल से आर्ट की एक किस्मत होती है। मेरे करियर में भी ढेरों फिल्में हैं, जो मुझे हाथ नहीं लगी। वो शायद उस फिल्म की डेस्टिनी थी। या मेरी ही किस्मत में वह फिल्म शायद नहीं थी।

कौन सी बायोपिक करना चाहेंगे ?

मेधा:- मैं तो यकीनन प्ले करना चाहूंगी। न सिर्फ स्पोट्र्स, बल्कि किसी और फील्ड से भी प्ले करना चाहूंगी। ताकि एक बायोपिक करने की जो चुनौतियां होती हैं, वह समझ सकूं। उसके लिए जो अनुशासन चाहिए, वह मेंटेन करना चाहूंगी।

बाबिल:- मेरी फेवरेट बायोपिक तो खैर पापा की ‘पान सिंह तोमर’ है। जो मैं प्ले करना चाहता हूं, वह पापा के फेवरेट रहें हैं। क्रिकेटर हैं वो। वो जो कमाल का फ्लिक लगाते थे। मोहम्मद अजहरूद्दीन।

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