Adipurush Review: प्रभास और कृति पसंद आएंगे, पर VFX की वर्षा में डायलॉग मूड खराब कर सकते हैं…

Adipurush Review: प्रभास और कृति पसंद आएंगे, पर VFX की वर्षा में डायलॉग मूड खराब कर सकते हैं…

Adipurush Movie Review: प्रभास और कृति सेनन स्‍टारर फिल्‍म ‘आद‍िपुरुष’ को लेकर जो उत्‍साह और हंगामा बना हुआ था, आखिरकार वो आज पूरा हुआ. नि‍र्देशक ओम राउत की ये बिग बजट फिल्‍म ‘आद‍िपुरुष’ आज स‍िनेमाघरों में र‍िलीज हो चुकी है. इस फिल्‍म के टीजर के बाद से ही कई सारे व‍िवाद सामने आए. कभी क‍िरदारों के लुक को लेकर तो कभी क‍िसी डायलॉग पर. लेकिन जैसे-जैसे फिल्‍म की रिलीज पास आई सारी कहानियां इसकी ट‍िकिट और उसके बढ़े हुए प्राइस की तरफ मुड गईं. लेकिन अभी तक बंद रही ये मुट्ठी आज खुल गई है. आइए बताती हूं आपको ये बंद मुट्ठी खाक की है या लाख की.

क्‍या कहती है कहानी
सबसे पहले कहानी की बात करें तो ये फिल्‍म हमारी आस्‍थाओं से जुड़ी उस कहानी को पर्दे पर ला रही है, ज‍िसे सालों से हम स‍िर्फ एक कहानी ही नहीं बल्‍कि असत्‍य पर सत्‍य की जीत की गाथा के रूप में जानते हैं. जानकी, राघव और शेष जंगलों में अपना 14 वर्षों का वनवास काट रहे हैं. इस जंगल में इनपर मायावी राक्षसों से हमले होते रहते हैं. ऐसे में रावण की बहन सूपर्णखा , राघव को पसंद कर अपना वर चुनती है पर राघव मना कर देते हैं और शेष उसकी नाक काट देते हैं. ऐसे में सूपर्णखा अपने भाई लंकेश को कहती है कि पूरे ब्रह्मांड में सीता जैसी सुंदरी नहीं और अगर वो उसे पा ले तो वो पूरे जग को जीत लेगा. अपनी बहन का बदला लेने के लिए रावण सीता का हरण करता है और फ‍िर राघव अपनी पत्‍नी को लंकेश से बचाकर वापस लाते हैं.

VFX का भयानक वज्रपात होगा, आपको बचना है
फ‍िल्‍म का फर्स्‍ट हाफ एक्‍शन, इमोशन का बेलेंस बनाकर चलता है और आपको कहानी आगे बढ़ती हुई नजर आती है. लेकिन सेकंड हाफ में आद‍िपुरुष एक ‘वीएफएक्‍स से भरपूर एक्‍शन फिल्‍म बन जाती है.’ ये वो कहानी है, ज‍िसे हम बचपन से सुनते आ रहे हैं और उसके क‍िरादारों से लेकर उसमें घटने वाली घटनाओं तक, हर चीज द‍िमाग में छपी है. ऐसे में जब रावण, सीता का हरण करने आए और वो पुष्‍पक व‍िमान पर आता है. लेकिन इस फिल्‍म में रावण एक असुर की जगह दैत्‍य लगने लगता है और पुष्‍पक व‍िमान की जगह ले जेता है एक भद्दा द‍िखने वाला वीएफएक्‍स का बना चीलनुमा व‍िशालकाय पक्षी.

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फ‍िल्‍म के एक सीन में प्रभास और र‍िव्‍यू.

फिल्‍म का सेकंड हाफ तो स‍िर्फ और स‍िर्फ एक्‍शन का तांडव दिखाता है. वो भी इतना भयानक और अजीब की आप थोड़ी देर के लिए भूल जाएंगे कि श्रीराम और रावण के बीच का युद्ध देख रहे हैं. चारों तरफ से आपके ऊपर वीएफएक्‍स की ऐसी वर्षा होगी कि आपको इससे श्रीराम भी नहीं बचा पाएंगे. साथ ही 3डी में जब आप फिल्‍म देखें तो फिल्‍म का पूरा कलर पेलेट इतना काला है कि आपको समझ ही नहीं आएगा कि वानर मर रहे हैं या रावण के कार्टून से लगने वाले क‍िरदार. साथ ही फिल्‍म की लंबाई भी एक बड़ी समस्‍या है. कुछ टाइम बाद फिल्‍म बेहद ख‍िंची हुई लगती है.

हनुमान जी बोलते हैं, ‘तेल तेरे बाप का’
फिल्‍म में आपके ऊपर जो सबसे बड़ा वज्रपात होगा वो होगा इसके डायलॉग्‍स का. ऐसे-ऐसे डायलॉग हैं कि आपको समझ ही नहीं आएगा ये मेघनाद बोल रहा है या गली का कोई गुंडा. इस बात से अंदाजा लगा लीज‍िए कि इस फिल्‍म में आपको हनुमान जी बोलते हुए नजर आएंगे, ‘जो हमारी बहनों को हाथ लगाएंगे, उनकी लंका लगा देंगे…’ या ‘कपड़ा तेरे बाप का, आग तेरे बाप की, तेल तेरे बाप का, जलेगी भी तेरे बाप की…’ और ये कहकर बजरंग बली लंका को आग लगा देते हैं.

क्‍या करता है इंप्रैस
फिल्‍म की पॉजेट‍िव चीजों की बात करें तो म्‍यूज‍िक और बीजीएम (बैकग्राउंड म्‍यूज‍िक) बढ़‍िया है, जो कहानी को अच्‍छे से बढ़ाता है. वहीं एक्‍ट‍िंग के मामले में भी सभी स‍ितारों ने अच्‍छा काम क‍िया है. फिल्‍म के फर्स्‍ट हाफ में आर्ट डायरेक्‍टर ने अपना काम खूबसूरती से क‍िया है. कई फ्रेम तो आपको क‍िसी पेंट‍िंग जैसे लगेंगे. लेकिन 500 करोड़ के भारी भरकम बजट में बनी इस फिल्‍म की द‍िक्‍कत है कि कहानी में कहीं भी आत्‍मा नहीं है. और यही वो सबसे बड़ी कमी है जो बार-बार खटकती है.

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आदिपुरुष के निर्माता वामसी कृष्णा रेड्डी और विवेट हैं.

दरअसल इस फिल्‍म के जरिए रामायण की इस कहानी को एक एक्‍शन यूनीवर्स में क्रिएट कराने की कोशिश की गई है. ऐसे में आपको इसे बस फिल्‍म मानकर देखेंगे तो शायद थोड़ा मजा भी आ जाए, क्‍योंकि ये कहानी पूरी फिल्‍मी है, ‘ज‍िसमें रचनात्‍मकता के लिए पूरी छूट ली गई है.’ मेरी तरफ से इस फिल्‍म को 2.5 स्‍टार.

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