Haddi Movie Review: नवाजुद्दीन-अनुराग की खूंखार टक्‍कर, पर ढीली कहानी ने छीन ली ‘हड्डी’ की आत्‍मा today bollywood latest news in hindi

Haddi Movie Review: नवाजुद्दीन-अनुराग की खूंखार टक्‍कर, पर ढीली कहानी ने छीन ली ‘हड्डी’ की आत्‍मा today bollywood latest news in hindi

Haddi Review In Hindi:

नवाजुद्दीन स‍िद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) और अनुराग कश्‍यप (Anurag Kashyap) की जोड़ी ‘गैंग्‍स ऑफ वासेपुर’, ‘रमन राघव 2.0’ सेक्रेड गेम्‍स जैसी कई फिल्‍मों में साथ काम कर दर्शकों को बेहद अलग तरह के स‍िनेमा का मजा दे चुकी है. ये जोड़ी एक बार फिर फिल्‍म ‘हड्डी’ में साथ नजर आ रही है, पर फर्क ये है कि अनुराग इस बार नवाज को डायरेक्‍ट करते नहीं बल्‍कि उनके सामने व‍िलेन बने नजर आ रहे हैं. ‘हड्डी’ में नवाज पहली बार एक ट्रांसजेंडर के अवतार में नजर आ रहे हैं. ह‍िंदी स‍िनेमा में ट्रांसजेंडरों के दर्द, उनकी तकलीफों को द‍िखाती कई फिल्‍में आई हैं, लेकिन ‘हड्डी’ कई मायने में अलग है. ये फिल्‍म द‍िल्‍ली-नोएडा के भीतर ट्रांसजेंडरों की दुन‍िया के बीच बसी अपराध की दुन‍िया को नंगे अवतार में पेश करती है.

क्‍या कहती है कहानी: हड्डी की कहानी, इलाहबाद से द‍िल्‍ली आए हड्डी (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की है जो एक ट्रांसजेंडर है, जो यहां आकर एक ग‍िरोह में शाम‍िल हो जाता है. हड्डी अपने नाम का मतलब बताते हुए बड़े ही सहज अंदाज में एक डायलॉग में कहता है ‘बचपन में मेरी ल‍िंच‍िंग हो गई थी, मुझे फंदे से लटकाया पर गले में हड्डी नहीं थी तो फंदा सरक गया.’ हड्डी इस‍ ग‍िरोह में शाम‍िल होता है अपराधी राजनेता प्रमोद अहलावत (अनुराग कश्‍यप) से बदला लेने के ल‍िए जो राजनीति की आड़ में एक बेहद ही घ‍िनौने अपराध की दुन‍िया चला रहा है. इसी बदले की कहानी है ये फिल्‍म.

न‍िर्देशक अक्षत अजय शर्मा और अदम्या भल्ला की ये फिल्म एक गंभीर और पेचीदा सबजेक्‍ट को पर्दे पर ला रही है. ये फिल्‍म गुमशुदा लाशों से जुड़े उस व्‍यापार को सामने लाती है, ज‍िसके बारे में सुनकर ही रूह कांप उठती है. 2 घंटे 14 म‍िनट की इस फिल्‍म के शुरुआती लगभग आधे घंटे तक आपको कहानी को समझने में काफी परेशानी होगी. न‍िर्देशक साहब ने कहानी के सस्‍पेंस को बनाए रखने के लिए उस क्राइम को ही आखिर के ह‍िस्‍से तक छ‍िपाकर रखा है, ज‍िसके इर्द-ग‍िर्द कहानी पहले ही सीन से घूमती है. ऐसे में बार-बार ये सवाल उठता है कि आखिर धंधा क्‍या है? दूसरी द‍िक्‍कत है कि कहानी के क्‍लाइमैक्‍स में हड्डी बने नवाज को कई गोल‍ियां लगती हैं, लेकिन आखिर वो कैसे बचा, कुछ ही महीनों में वो कहां से वहां पहुंचा ये सारी बातें बताने की जहमत ही नहीं उठाई गई है.

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अनुराग कश्‍यप ‘गैंंग्‍स ऑफ वासेपुर’ में नवाज को न‍िर्देश‍ित कर चुके हैं.

फिल्‍म ‘हड्डी’ की सबसे अच्‍छी बात है इसका परफॉर्मेंस जो आपको ब‍िलकुल न‍िराश नहीं करेंगी, लेकिन ज‍िस इमोशन को केंद्र में रखकर ये पूरी कहानी गढ़ी गई है, वो इमोशन उतनी तीव्रता से दर्शकों तक शायद नहीं पहुंच पा रहा. नवाज वो कलकार हैं, ज‍िन्‍होंने अपने बेहतरीन अभ‍िनय से बेहद ठंडी स्‍क्र‍िप्‍ट्स में भी जान फूंकी है. हड्डी में उनका अभ‍िनय अलग स्‍तर का है. एक ट्रांसजेंडर के क‍िरदार में वो इतने सहज और सटीक रहे हैं कि आप उनके इस क‍िरदार पर भरोसा करने लगते हैं. ऐसे में परफॉर्मेंस के आधार पर भले ही आप कहानी से जुड़े रहें लेकिन कहानी के झोल को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

न‍िर्देशक से एक्‍टर की कुर्सी पर श‍िफ्ट हुए अनुराग कश्‍यप ने अपने खूंखार विलेन के अवतार में कॉमेडी का पुट डालने की कोश‍िश की है, लेकिन उनका ये अंदाज आपको बार-बार एक्‍टर प्रकाश राज की याद द‍िला देता है. व‍िप‍िन शर्मा कुछ सीन्‍स में ही हैं, लेकिन उनमें भी वो एक दमदार असर छोड़ते हैं. यही इला अरुण के बारे में भी कहा जाना चाहिए ज‍िन्‍होंने कुछ सीन्‍स में ही गजब का असर डाला है. हड्डी की पूरी कास्‍ट में ईला ही अकेली फीमेल एक्‍ट्रेस हैं, ज‍िन्‍हें आप पर्दे पर देखेंगे.

फिल्‍म का म्‍यूज‍िक अच्‍छा है तो कहानी को पूरा सपोर्ट करता है. नवाजुद्दीन स‍िद्दीकी की फिल्‍म ‘हड्डी’ एक ऐसी फिल्‍म है, ज‍िसे परफॉर्मेंस ने तो खूब सजाया है पर अगर कहानी भी सपोर्ट कर देती तो ये एक शानदार फिल्‍म हो सकती थी.

मेरी तरफ से इस फिल्‍म को 2.5 स्‍टार.

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