पीयूष पाठक/अलवर. अलवर का नाम आते ही लोगों को सरिस्का टाइगर रिजर्व में धार्मिक स्थल ध्यान में आते हैं. लेकिन जिन लोगों ने अलवर शहर के जलेबी मार्केट में स्थित प्रसिद्ध नंदा जी स्वीट की जलेबी का स्वाद लिया होगा, तो अलवर का नाम सुनकर उनके मुंह में एक बार पानी जरूर आएगा.
इसका कारण है कि नंदा जी स्वीट्स पर मिलने वाली जलेबी का पूरे अलवर में कोई जवाब नहीं. इस दुकान पर हर व्यक्ति को गरमा गर्म जलेबी तैयार करके दी जाती हैं. इस दुकान की सबसे खास बात यह है कि नंदा जी स्वीट के ओनर रामलाल और उनके छोटे भाई ही यहां पर अपने हाथों से लोगों को जलेबी बनाकर खिलाते हैं. इनकी जलेबी लोगों को कुरकुरी और स्वाद में लाजवाब लगती हैं. नंदा जी स्वीट्स अलवर शहर में करीब 55 साल से लोगों को जलेबी खिला रही है.
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55 साल पहले पिता जी और ताऊजी ने शुरु की थी दुकान
नंदा स्वीट के ओनर रामलाल ने बताया इस दुकान की शुरुआत हमारे पिताजी और ताऊ जी ने आज से करीब 55 साल पहले की. इस मार्केट में जलेबी की सबसे पहली हमारी दुकान है. किसी समय में मेरे पिता जी में ताऊजी इसी बाजार में ठेली लगाया करते थे. जरूरत पड़ने पर सुविधा के अनुसार हमें यह दुकान मिली. तब से हमारी दुकान पर लोगों के लिए जलेबियां उपलब्ध हैं. हमारी जलेबियां लोग दूर-दूर से खाने के लिए आते हैं. लोगों को हमारी जलेबी स्वाद में लाजवाब लगती है. इसका कारण है कि हमारी जलेबी में कोई कलर मिक्स नहीं होता. अच्छी मैदा और अच्छा सरस घी इसे तैयार करने में काम में लिया जाता है. रामलाल ने बताया कि हमारी जलेबी की लोग तारीफ करते हैं. लोगों का ही यह कहना है कि हमारी जलेबी पतली और करारी होती है. जिसे खाने में अलग ही आनंद मिलता है. हमारे पिताजी द्वारा तैयार की गई क्वालिटी को हमने मेंटेन रखा है. इसके कारण ही हमारे बहुत से ऐसे कस्टमर है जो हम से ही जलेबी लेकर जाते हैं.
खुद बनाते हैं जलेबी
रामलाल ने बताया कि हमारे पिताजी द्वारा जलेबी बनाने की विधि हमने सीखी और हम हमारी दुकान पर जलेबी बनाते हैं. इसका कारण है कि यदि हम दुकान पर हैं तो हम अपने हाथों से जलेबी बनाकर ग्राहक को दें. इसके पीछे हमारी भावना यह है कि पूरे मन से अच्छे से अच्छी जलेबी बनाएं. कारीगरों को हम हेल्पर के रूप में रखते हैं. जबकि लोगों को हमारे द्वारा ही तैयार की गई जलेबी खिलाई जाती हैं.
सुबह से शाम तक मिलती हैं गरमा गरम जलेबी
नंदा जी स्वीट्स पर जलेबी का काम सुबह 7 से शुरू हो जाता है. जबकि 8 बजे यहां पर लोगों को जलेबियां मिलना शुरू हो जाती हैं, जो रात को 8 बजे तक मिलती हैं. रामलाल ने बताया कि हम गर्मी और सर्दी में नगर परिषद के साइरन के हिसाब से काम करते हैं. गर्मियों में रात को 8 बजे का सायरन बजता है, जब तक हमारी जलेबियां लोगों को मिलती है तथा सर्दियों में शाम 7:30 बजे सायरन बजते ही हमारी दुकान पर जलेबियां खत्म हो जाती हैं. जलेबी की कीमत के बारे में रामलाल ने बताया कि जलेबी का भाव 160 रुपये प्रति किलो चल रहा है.