राजस्थान के जलियांवाला से आदिवासी वोट बैंक को साधेंगे राहुल गांधी

राजस्थान के जलियांवाला से आदिवासी वोट बैंक को साधेंगे राहुल गांधी

हाइलाइट्स

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 38 साल पहले दिया था आदिवासियों को सस्ते अनाज का तोहफा
सांसदी बहाल होने के बाद राहुल गांधी पहली जनसभा में बीजेपी और पीएम मोदी पर साधेंगे निशाना
मानगढ़ धाम के राष्ट्रीय स्मारक घोषित न होने से आदिवासी समाज में नाराजगी

रिपोर्ट – एच. मलिक

बांसवाड़ा. विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day) के मौके पर आदिवासियों का आराध्य स्थल मानगढ़धाम (Mangarh Dham) में एक बार फिर सियासी रणभेरी गूजेंगी. अपनी सांसदी बहाल होने के बाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) जनसभा में पहली बार आदिवासी वोट बैंक के गढ़ को साधेंगे. राजस्थान दौरे के बाद ही करीब 38 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) ने देशभर के आदिवासियों को सस्ते अनाज का तोहफा दिया था.

देश के लाखों आदिवासियों के श्रद्धास्थल के साथ-साथ मानगढ़ धाम आदिवासी वोट बैंक को रिझाने के लिए सियासी सभाओं का भी केंद्र बन रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर कई राज्यों के सीएम यहां आ चुके हैं. अब राहुल कांग्रेस के चुनावी अभियान का आगाज करेंगे. मानगढ़धाम में राहुल गांधी के दौरे पर पढ़िए ये रिपोर्ट.

1.जनसभा में भी करेंगे पीएम मोदी पर हमला
संसद की सदस्यता बहाल होने के बाद राहुल गांधी ने बुधवार (9 अगस्त) को सदन में पीएम मोदी या एनडीए पर हमला बोला. इसकी पूरी संभावना है कि राहुल गांधी अब अपनी सांसदी जाने, सुप्रीम कोर्ट से बहाल होने और मणिपुर में हिंसा के तांडव जैसे मुद्दों पर मानगढ़ धाम में पीएम मोदी पर फिर निशाना साधेंगे. इसी के साथ विधानसभा चुनावों के लिए राजस्थान में कांग्रेस की सेंट्रल लीडरशिप के चुनावी दौरों की शुरुआत भी हो जाएगी. वैसे राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के पार्ट-2 में राजस्थान में 15 दिन में कई सभाएं करने वाले हैं.

2.राजस्थान- मध्यप्रदेश की आदिवासी बहुल सीटों को साधेंगे
विश्व आदिवासी दिवस से मौके पर परंपरागत वोट बैंक को साधने के लिए कांग्रेस ने राहुल गांधी की सभा के लिए खास दिन चुना है. राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी इस साल चुनाव हैं और तीनों राज्यों में आदिवासी सीटें हैं. खासकर राजस्थान और मप्र के आदिवासियों की मानगढ़ धाम में बहुत आस्था है. इसलिए यहां से राहुल गांधी राजस्थान की 25 और मध्यप्रदेश की 45 सीटों आदिवासी बहुल सीटों को साधने की कोशिश करेंगे.

3.राजीव ने राजस्थान से दिया आदिवासियों को तोहफा
कांग्रेस ने राहुल गांधी की यात्रा को भावनात्मक तौर पर इतिहास से भी जोड़ा है. इसे संयोग कहें या सुनियोजित प्लानिंग आज से करीब 38 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी आदिवासी बहुल इलाके खेरवाड़ा के दौरे पर आए थे. उन्होंने दो किलोमीटर पैदल यात्रा कर प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों के हालात जाने थे. तब उन्होंने एक आदिवासी महिला के हाल देखकर देशभर में आदिवासियों को गेहूं सस्ता करने का तोहफा दिया था. साथ ही कई महत्वपूर्ण योजनाओं को राजीव गांधी ने राजस्थान के उसी दौरे की मदद से धरातल पर उतारा था. उनके दौरे के बाद कांग्रेस को राजस्थान में भारी बहुमत मिला था. कांग्रेस अब फिर सरकार को रिपीट करने के लिए मशक्कत कर रही है.

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4. बीजेपी की सीटों को और कम करने की कवायद
उदयपुर संभाग कभी कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक हुआ करता था. लेकिन 2013 में बीजेपी ने सेंध लगाई और 28 में से 23 सीटें हासिल कीं. पिछले चुनाव में बीजेपी 15 सीटों पर सिमट गई. कांग्रेस की कोशिश अगले चुनाव में बीजेपी की सीटें और कम करने की है.उदयपुर संभाग के अंतर्गत आने वाले छह जिलों में बांसवाड़ा, डूंगरपुर, राजसमंद, उदयपुर और प्रतापगढ़ हैं. इन 6 जिलों में 28 विधानसभा सीटें हैं. अभी इनमें से 15 सीटों पर बीजेपी है और कांग्रेस के पास 10 सीटें हैं. दो सीटें भारतीय ट्राइबल पार्टी की है. कुशलगढ़ सीट पर निर्दलीय विधायक है. बांसवाड़ा और डूंगरपुर की 9 विधानसभा सीटों में से 3 कांग्रेस के पास हैं और 3 बीजेपी के पास. दो सीटों पर बीटीपी और एक पर निर्दलीय प्रत्याशी जीती हुई है.

5. पीएम ने राष्ट्रीय स्मारक घोषित नहीं किया, सीएम देंगे सौगातें
मानगढ़ अंग्रेजों के हाथों जलियांवाला बाग से कहीं अधिक 1500 भील आदिवासियों के नृशंस संहार का गवाह है. उनकी शहादत की याद में मानगढ़ पहाड़ी पर एक शहीद स्मारक बनवाया गया है. देश की धरोहर बनाने के लिए इसे राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने की पुरजोर मांग उठती रही है. पिछले साल पीएम मोदी जब यहां आए थे, तब उम्मीद थी कि वे इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित करेंगे. लेकिन ऐसा न होने पर आदिवासियों में नाराजगी है. कांग्रेस उसी रोष को कैश करना चाहती है. सूत्र बताते हैं कि सीएम गहलोत मानगढ़ में करोड़ों की सौगातें दे सकते हैं.

मानगढ़ का इतिहास- अंग्रेजों के जुल्म और गोविंद गुरु का उदय
अंग्रेजों के गुलामी काल में 1857 की क्रांति के एक साल बाद गोविंद गुरु का जन्म हुआ. युवा होने पर गोविंद गुरु लोगों को एकजुट करने लगे. वे एक ही बात समझाते थे – ना तो जुल्म करो और ना इसे सहो. अपनी मिट्टी से प्यार करो. इसका असर ये हुआ कि दक्षिणी राजस्थान, गुजरात और मालवा के आदिवासी एकजुट होकर जनशक्ति बन गए. जनाधार को बढ़ाने के बाद गोविंद गुरु की “संप सभा” संप सभा का पहला अधिवेशन वर्ष 1903 में हुआ. संप का अर्थ होता है– भाईचारा, एकता और प्रेम. अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ 7 दिसंबर 1908 को संप सभा का वा र्षिक अधिवेशन मानगढ़ में हुआ.

अंग्रेजों की अंधाधुंध फायरिंग में 1500 आदिवासी शहीद
इसके बाद 1913 में गोविंद गुरु की अगुवाई में आदिवासी राशन पानी लेकर वहां जुटे. तब ये इलाका बंबई राज्य के अधीन था. बंबई राज्य का सेना अधिकारी अंग्रेजी सेना लेकर 10 नवंबर 1913 को मानगढ़ पहाड़ी के पास पहुंचा. सशस्त्र भीलों ने बलपूर्वक आयुक्त सहित सेना को वापस भेज दिया. अंग्रेजों ने तुरंत मेवाड़ छावनी से सेना बुलाई. सेना ने 17 नवंबर 1913 को मानगढ़ पहुंचते ही फायरिंग शुरू कर दी. एक के बाद करीब 1500 आदिवासी शहीद हो गए. गोविंद गुरु के पांव में गोली लगी. उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

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