सचिन को सीडब्ल्यूसी में लेकर गहलोत-पायलट का झगड़ा सुलझाने की कोशिश

सचिन को सीडब्ल्यूसी में लेकर गहलोत-पायलट का झगड़ा सुलझाने की कोशिश

हाइलाइट्स

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मल्लिकार्जुन खरगे ने छत्तीसगढ़ की तरह अब राजस्थान में भी दिग्गजों का टकराव कम किया
कांग्रेस कार्य समिति में राजस्थान की भागीदारी बढ़ाने में रखा जातिगत वोट बैंक का ख्याल
सचिन पायलट को सीडब्ल्यूसी में शामिल कर भविष्य में बड़ी जिम्मेदारी मिलने के दिए संकेत

एच. मलिक

जयपुर.

 कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने देर आयद, दुरुस्त आयद की कहावत चरितार्थ की है. अपनी ताजपोशी के दस माह बाद उन्होंने कांग्रेस कार्यसमिति (Congress Working Committee) की बनाई है और इसमें राजस्थान में चुनाव को देखते हुए गुर्जर, जाट, राजपूत और ब्राह्मणों समेत अन्य वोट बैंक को साधने की कोशिश की है. खासकर सचिन पायलट को 3 साल बाद पद देकर पार्टी में भविष्य में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने के संकेत दिए हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष ने इससे पहले टीएस सिंह देव को उपमुख्यमंत्री बनाकर चुनावी राज्य छत्तीसगढ़ में पार्टी में शांति स्थापित करने की कवायद की. अब कांग्रेस आलाकमान राजस्थान में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर गहलोत-पायलट झगड़े को सुलझाने की कोशिश भी की है.

चुनाव के चलते बढ़ाई राजस्थान की भागीदारी

राजस्थान के रण को धार देने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष ने कमेटी कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी), स्थायी समिति और विशेष आमंत्रित में राजस्थान के सात नेताओं को जगह दी है. दरअसल, राजस्थान में कांग्रेस लंबे समय से कलह से जूझ रही है. खरगे के आवास पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट समेत अन्य नेताओं की बैठक के बाद पार्टी में सियासी गुटबाजी और बयानबाजी पर कुछ ब्रेक लगा है. अब सीडब्ल्यूसी में राजस्थान की भागीदार 4 से बढ़कर 7 करने और सचिन पायलट और अन्य नेताओं को लेकर जमीनी स्तर पर काम करने का संदेश दिया है.

आइये, जानते हैं कि इसके राजनीतिक मायने क्या होंगे…

पायलट: चार साल से चल रही सियासी कलह पर ‘ब्रेक’

सचिन पायलट को पद न मिलने से गुर्जर मतदाता कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं. पिछले चुनाव में गुर्जर बहुल सीटों पर कांग्रेस को भारी जीत मिली थी. अब पायलट को तीन साल बाद पद मिला है. कांग्रेस में बगावत के ‘मानेसर एपिसोड’ के बाद उन्हें डिप्टी सीएम व प्रदेश अध्यक्ष पद की कुर्सी से हटा दिया था. तब से लेकर गहलोत-पायलट का सियासी संग्राम सुर्खियां बनता रहा है. अब कुछ माह बाद ही चुनाव को देखते हुए पार्टी ने से पटरी पर लाने की कोशिश की है. इससे गुर्जर वोट बैंक पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा.

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जितेंद्र सिंह: प्रदेश के बड़े राजपूत वोट बैंक पर नजर

राजपूत समाज में पकड़ रखने वाले जितेंद्र सिंह कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भी काफी नजदीक माने जाते हैं. इसलिए असम के प्रभारी होने के साथ-साथ उन्हें मध्यप्रदेश की स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष भी बना रखा है. अलवर के पूर्व सांसद और कांग्रेस महासचिव जितेंद्र सिंह पर पार्टी ने भरोसा बरकरार रखा है. राजस्थान में अगले विधानसभा चुनाव में सिंह राजपूतों में असर के चलते प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं.

मालवीया: आदिवासियों को लुभाने का अहम कदम

आदिवासी कांग्रेस के परंपरागत मतदाता रहे हैं. इसी माह राहुल गांधी आदिवासियों के आराध्य स्थल मानगढ़ धाम जाकर आदिवासियों को साधने की कोशिश कर चुके हैं. इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए अब बांसवाड़ा जिले के आदिवासी नेता व कैबिनेट मंत्री महेन्द्र जीत सिंह मालवीया को शामिल किया गया है. बांसवाड़ा के साथ मालवीय का असर वागड़ व मेवाड़ अंचल के आदिवासी इलाकों में भी है. सीडब्ल्यूसी में सदस्य बनाना अहम रणनीतिक चाल मानी जा रही है.

हरीश चौधरी: जाट बहुल इलाकों का दमदार चेहरा

सचिन पायलट के करीबी और पंजाब के प्रभारी हरीश चौधरी पिछडी जाति के चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं. वे ओबीसी आरक्षण को लेकर गहलोत से टकरा भी चुके हैं. ओबीसी के लिए 6 फीसदी अतिरिक्त आरक्षण की घोषणा में उनकी भी अहम भूमिका है. राहुल गांधी के नजदीकी नेताओं में शुमार हरीश चौधरी का जाट बाहुल्य इलाकों में खासा प्रभाव है. पार्टी उनका उपयोग जाट वोट बैंक को साधने के लिए चुनाव प्रचार में करेगी.

मोहन प्रकाश: वैष्णव के मुकाबले ब्राह्मण चेहरा

राजधानी जयपुर में मार्च में ब्राह्मण महापंचायत में लाखों लोगों ने एकजुटता दिखाई थी. इसमें बीजेपी ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को ब्राह्मण नेता के रूप में आगे बढ़ाया. कांग्रेस ने सीडब्ल्यूसी में ब्राह्मण वर्ग से आने वाले मोहन प्रकाश को शामिल किया है. अच्छे वक्ता मोहन प्रकाश महासचिव रहते हुए कई राज्यों के प्रभारी रह चुके हैं. उनके अनुभव का लाभ उठाकर ब्राह्मण वोट बैंक को साधने के लिए पार्टी ने उन्हें स्थायी आमंत्रित सदस्यों की सूची में शामिल किया है.

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खेड़ा: पार्टी के प्रचार के लिए रणनीतिक कदम

पवन खेड़ा प्रखर वक्ता हैं और मूलतः उदयपुर के ही रहने वाले हैं. वे लंबे समय से पार्टी के प्रवक्ता की भूमिका निभा रहे हैं. वर्तमान में उनके पास मीडिया व प्रचार विभाग की जिम्मेदारी है. पार्टी के प्रचार की रणनीति और नेरेटिव बनाने का काम वे बखूबी करते हैं. वे सचिन पायलट की जनसंघर्ष यात्रा को मजाक बताकर उनपर तंज कस चुके हैं. गहलोत समर्थक के रूप में राजस्थान से भागीदारी को बैलेंस करने की कोशिश की गई है.

सिंघवी: गांधी परिवार के खास सिपहसालार

गांधी परिवार के खास सिपहसालारों में से राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी एक माने जाते हैं. पार्टी की ज्यादातर कानूनी लड़ाई में सिंघवी की अहम भूमिका रहती है. हाल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल कराने में अहम भूमिका निभा चुके हैं. भाजपा पर हमला करने वाले वक्ताओं में इनका नाम शामिल है. पार्टी उनका उपयोग राजस्थान के विधानसभा चुनावों में करेगी।

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