निखिल स्वामी/ बीकानेर. लंबी और अच्छी जिंदगी जीने का सपना सभी का होता है. लेकिन आज के आधुनिक और भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग 60 से 70 साल की उम्र तक भी मुश्किल से जी पा रहे है. लेकिन 100 साल जिंदगी जीने का सपना पूरा करने के लिए शुरू से काफी कंट्रोल भरी जिंदगी जीनी पड़ती है. ऐसा ही एक उदाहरण बीकानेर में है. जहां व्यक्ति 100 साल से ज्यादा की जिंदगी जी रहे है.
हम बात कर रहे हैं गजनेर पुलिया के पास रहने वाले शिव रतन व्यास की. उनकी उम्र अभी 102 साल की है. शिव रतन व्यास के पुत्र अरविंद व्यास बताते है कि पिताजी शिव रतन व्यास का जन्म बीकानेर में ही हुआ है. एक साल पहले ही उनके पिताजी के 100 साल पूरा करके 101 साल में प्रवेश करने पर एक समिति ने उनका सम्मान किया था. वे बताते है कि पिछले दो माह से उनकी तबियत खराब है, अब उनकी तबियत में सुधार हो रहा है. दो माह पहले तक वे घर में टहलते रहते थे और अपने कुछ काम वे स्वयं करते थे. अरविंद व्यास बताते है कि वे अपने पिता जी से बहुत कुछ सीखते है. अरविंद व्यास ने बताया कि मैं महाराजा गंगा सिंह विश्व विद्यालय में काम करता था, फिर सेवानिवृत हो गया.
फुटबॉल के रहे अच्छे खिलाड़ी
शिवरतन व्यास फुटबॉल के बहुत अच्छे खिलाड़ी रहे है. वे रोजाना अभ्यास करते थे. शिव रतन व्यास के पुत्र अरविंद व्यास बताते है कि बचपन से अपने पिताजी को देख रहा हूं. इनका खाने पर बहुत अच्छा नियंत्रण था. वे अपनी जीभ पर पूरी तरह कंट्रोल रखते है. दिन के खाने में सलाद, दो रोटी, थोड़ी सब्जी, चावल और दाल लेते थे. वो भी थोड़ा-थोड़ा. वे बताते है कि शरीर को जितनी जरूरत हो उतना ही भोजन करते है.
खाने पर रखते थे नियंत्रण
रात को भी हल्का भोजन यानी दूध और दलिया लेते थे. साथ ही पूरे दिन में सिर्फ दो बार चाय पीते थे. वे बताते है कि उनके पिताजी ने कभी पान, गुटखा, सुपारी किसी भी चीज का सेवन नहीं करते थे. मिठाई सिर्फ शौक से एक पीस लेते थे. शादी और अन्य कार्यक्रम में मिठाई का सिर्फ एक पीस लेते थे. इससे ज्यादा मिठाई नहीं खाते थे. वे अपने खाने पर पूरी तरह नियंत्रण रखते थे. वे सिर्फ बिस्कुट और मिठड़ी खाते थे वो भी सिर्फ एक पीस ही खाते है. वे बताते है कि रोजाना चार रोटी और दाल और थोड़े चावल लेते थे. बीकानेर का नमकीन काफी प्रसिद्ध है, लेकिन उनके पिताजी ने कभी कचौरी और समोसा नहीं खाते थे. वे बताते है कि 90 साल की उम्र में इनके दांत बहुत मजबूत रहे है. एक से दो माह पहले तक रोजाना दो घंटे तक अखबार पढ़ते थे और घर में घूमते रहते थे.
बिरला और बांगड़ ग्रुप में निदेशक पद पर रहे
शिव रतन व्यास के पुत्र अरविंद व्यास बताते है कि उनके पिताजी जब छोटे थे, तो हमारे दादाजी की मृत्यु हो गई थी, लेकिन फिर पिताजी ने संघर्ष शुरू किया. वे कई बड़ी बड़ी कंपनी में रहे है. इनमें बिरला और बांगड़ ग्रुप में जनरल मैनेजर से निदेशक पद पर रहे है. उन्होंने यहां डूंगर कॉलेज से पढ़ाई पूरी की. वे बताते है कि उनके पिताजी शिव रतन की पढ़ाई में बहुत होशियार और दिखने में स्मार्ट यानी अच्छे थे. उनके पिताजी शिव रतन जी अपने भाई से मिलने बंगाल गए थे, वहा एक सेठ से मिले और सेठ ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें अपनी कंपनी बांगड़ ग्रुप में ले लिया. फिर कंपनी ने बिहार में शुगर मिल्स में काम करने और संभालने के लिए भेजा. करीब 40 वर्षो तक बिहार की शुगर मिल्स को संभाला. वे इन शुगर मिल्स में जनरल मैनेजर और निदेशक पद पर रहे. इसके बाद वे राजस्थान के भोपाल सागर स्थित शुगर मिल्स आए और यहां मिल्स का विस्तार और आधुनिकीकरण किया. इसके बाद ये सेवानिवृत हो गए. इसके बाद दुबारा अपनी सेवाएं बिहार में देनी शुरू की. इसके बाद फिर एक व्यापारी ने इनकी प्रतिभा को पहचाना और पेपर मिल्स में काम शुरू किया. शिव रतन व्यास ने कभी नौकरी छोड़ी नहीं और उनकी कंपनी के मालिकों ने भी उनको कभी नहीं छोड़ा है.