हाइलाइट्स
हालात खराब होने पर राहत आयोग किसान को या पूरे क्षेत्र को संकटग्रस्त घोषित कर सकेगा
केवल सहकारी बैंकों के ऋण माफ हुए, दूसरे बैंकों के किसानों को कर्ज माफी का इंतजार
किसानों के लोन को री-शेड्यूल करने और ब्याज कम करने जैसे फैसले भी आयोग कर सकेगा
एच. मलिक
जयपुर. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को रिपीट करने की तैयारियों में जुटी गहलोत सरकार अब किसान मतदाताओं (Voters) को लुभाने के लिए मास्टर स्ट्रोक चलने जा रही है. सरकार किसान (Farmers) कर्ज राहत आयोग बिल को दो अगस्त को विधानसभा में पेश करने की तैयारी कर रही है. इस बिल पारित होने के बाद किसान आयोग (Commission) बनाने का रास्ता साफ हो जाएगा. इससे न सिर्फ कभी भी किसानों के कर्ज माफ हो सकेंगे, बल्कि बैंक (Banks) भी अन्नदाताओं की जमीन को नीलाम नहीं कर पाएंगे.
राजस्थान के रण में किसानों के कर्ज और उनकी फसलों के उचित दाम मिलने का मुद्दा हर चुनाव में उठता है. पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने किसानों की कर्जमाफी का वादा किया था.
सरकार ने 21 लाख किसानों का कर्ज माफ किया
राज्य सरकार का दावा है कि उसने 21 लाख किसानों का 15 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज माफ करके अपना वादा पूरा किया है. हालांकि राज्य सरकार ने सिर्फ सहकारी बैंकों के ऋण माफ किये हैं. दूसरे बैंकों से कर्ज लेने वाले लाखों किसानों को कर्ज माफी का इंतजार है. इस पर सरकार का तर्क है कि उसने भारत सरकार से आग्रह किया है कि कमर्शियल बैंकों से वन टाइम सेटलमेंट कर किसानों के ऋण माफ करें. राज्य सरकार भी इसमें हिस्सा वहन करने हेतु तैयार है. आरोप है कि केंद्र सरकार इस दिशा में कदम नहीं उठा रही है.
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बजट में जमीन की नीलामी रोकने की हुई घोषणा
किसानों की कर्ज माफी को चुनावी मुद्दा बनाकर वर्ष 2018 में सरकार बना चुकी कांग्रेस इस बार फिर इसी नीति से वोट की फसल काटने की तैयारी में है. सीएम गहलोत ने बजट में ही कृषि ऋण से किसान वर्ग को स्थायी राहत व जमीन की नीलामी रोकने के लिए एक्ट बनाने की घोषणा कर दी थी. अब सरकार ने इसे अमली जामा पहनाने की पूरी तैयारी कर ली है. चुनावी साल में सरकार किसानों को लुभाने के लिए बिल लेकर आ रही है.
किसान कर्ज राहत आयोग बिल जल्द ही पेश होगा
विधानसभा में संभवत: दो अगस्त को किसान कर्ज राहत आयोग बिल पेश होगा. यह बिल पारित होने के बाद किसान कर्ज राहत आयोग बनाने का रास्ता साफ हो जाएगा. आयोग बनने के बाद बैंक और कोई भी फाइनेंशियल संस्था किसी भी कारण से फसल खराब होने की हालत में कर्ज वसूली का प्रेशर नहीं बना सकेंगे. किसान फसल खराब होने पर कर्ज माफी की मांग करते हुए इस आयोग में आवेदन कर सकेंगे.
किसान और क्षेत्र को संकटग्रस्त घोषित कर सकेंगे
किसान कर्ज राहत आयोग से सरकार को किसानों के कर्ज माफ करने या सहायता करने के आदेश कभी भी जारी हो सकते हैं. कर्ज नहीं चुका पाने को लेकर अगर किसान आवेदन करता है या आयोग खुद अपने स्तर पर समझता है कि हालत वाकई खराब है तो वह उसे संकटग्रस्त किसान घोषित कर सकता है. संकटग्रस्त किसान या क्षेत्र घोषित करने के बाद आयोग के पास यह भी पावर होगा कि वह बैंकों से लिए गए कर्ज को सेटलमेंट के आधार पर चुकाने की प्रक्रिया तय कर सकेगा.
हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज होंगे आयोग के अध्यक्ष
हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज किसान कर्ज राहत आयोग के अध्यक्ष होंगे. इसमें अध्यक्ष सहित 5 मेंबर होंगे. इस आयोग का कार्यकाल 3 साल का होगा. आयोग के अध्यक्ष और मेंबर का कार्यकाल भी 3 साल का होगा. सरकार अपने स्तर पर आयोग की अवधि को बढ़ा भी सकेगी और किसी भी मेंबर को हटा सकेगी. आयोग में एसीएस या प्रमुख सचिव रैंक पर रहे रिटायर्ड आईएएस, जिला और सेशन कोर्ट से रिटायर्ड जज, बैंकिंग सेक्टर में काम कर चुके अफसर और एक एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट को मेंबर बनाया जाएगा. सहकारी समितियों के एडिशनल रजिस्ट्रार स्तर के अफसर को इसका सदस्य सचिव बनाया जाएगा.
बैंक किसान से जबरन कर्ज नहीं वसूल सकेंगे
किसान कर्ज राहत आयोग को कोर्ट जैसे पावर होंगे. अगर किसी इलाके में फसल खराब होती है और इसकी वजह से किसान बैंकों से लिया हुआ कृषि कर्ज चुका नहीं पाता है तो ऐसी स्थिति में आयोग को उस किसान और क्षेत्र को संकटग्रस्त घोषित करके उसे राहत देने का आदेश देने का अधिकार होगा. संकटग्रस्त किसान का मतलब है कि उसकी फसल खराबे की वजह से वह कर्ज चुका पाने में सक्षम नहीं है. संकटग्रस्त किसान घोषित होने के बाद बैंक उस किसान से जबरदस्ती कर्ज की वसूली नहीं कर सकेगा.