राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए बसपा किसी दल से नहीं करेगी गठजोड़

राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए बसपा किसी दल से नहीं करेगी गठजोड़

हाइलाइट्स

पांच विधानसभा चुनाव में दो बार बसपा ने छह-छह सीटें जीतीं, दोनों ही बार हुआ कांग्रेस में विलय
‘बीएसपी चली गांव के ओर’ अभियान से पार्टी का गांवों में रहने वाले दलित वोट बैंक पर फोकस
प्रदेश की एससी रिजर्व की 34 सीटों के साथ ही बसपा नौ जिलों की 60 सीटों पर लड़ सकती है चुनाव

एच. मलिक

जयपुर. ढाई दशक पहले राजस्थान के विधानसभा चुनाव में एंट्री करने वाली बहुजन समाजवादी पार्टी (Bahujan Samajwadi Party) के 5 चुनावों में कुल 19 नेता चुनाव जीतकर विधायक बने. एक बार फिर मायावती ने राजस्‍थान में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. सीएम अशोक गहलोत दो बार उनके विधायकों को तोड़कर ले जाने में सफल रहे. अब मायावती विधानसभा चुनाव (Assembly Election-2023) में उन्हीं के लिए सबसे ज्यादा मुश्किलें खड़ी करने जा रही हैं.

इसके अलावा राजस्थान की 17 प्रतिशत सीटें दलित रिजर्व हैं. इन 34 एससी रिजर्व सीटों में से सबसे ज्यादा 19 पर पर कांग्रेस काबिज है. वहीं 12 सीटों पर बीजेपी है. इसके अलावा दो सीटें आरएलपी और 1 सीट निर्दलीय विधायक के पास है.

बसपा सुप्रीमो लगातार गहलोत सरकार पर हमलावर
बसपा सुप्रीमो मायावती पिछले दिनों में लगातार अशोक गहलोत सरकार पर हमले बोल रही हैं. मायावती ने गहलोत सरकार पर यह कहकर ट्वीट किया कि अपने पूरे कार्यकाल यह कुंभकर्ण की नींद सोती रही और आपसी राजनीतिक उठापटक में ही उलझी रही. अब केवल खोखले प्रचार पर सरकारी बेशुमार धन खर्च करना पड़ रहा है. मायावती ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले न्यूनतम आय गारण्टी योजना आदि की घोषणा करना जनहित से ज्यादा राजनीतिक स्वार्थ का फैसला है. इससे गरीब जनता को तुरन्त राहत मिलना मुश्किल है.

राजस्थान में भाजपा के घेराव से पहले पीएम मोदी का कांग्रेस पर तीखा हमला, कहा- मिला दुख और बदनामी, जनता उखाड़ फेंकेगी

एससी रिजर्व सीटों पर है बसपा की पहली नजर
बसपा के लिए दलित वोट बैंक हार्डकोर रहा है. इसी के बलबूते वह न सिर्फ चुनाव जीतती आई है, बल्कि यूपी में सत्ता भी हासिल की है. जहां तक राजस्थान की बात है तो 60 ऐसी सीटें हैं, जो दलित बहुल या इनमें दलितों का प्रभाव है. प्रदेश में 34 एससी रिजर्व सीटों में से जयपुर जिले में चाकसू, दूदू, बगरू की 3 सीटें, नागौर में जायल और मेड़ता, जोधपुर में भोपालगढ़ और बिलाड़ा, गंगानगर में अनूपगढ़ और रायसिंहनगर, भरतपुर में बयाना और वैर और अलवर में कठ्‌ठुमर और अलवर ग्रामीण में 2-2 एससी सीटें हैं. इसके अलावा अजमेर दक्षिण, बारां-अटरू, चौहट्‌टन, शाहपुरा, खाजूवाला, कपासन केशवरायपाटन, सुजानगढ़, सिकराय, बासेरी, पीलीबंगा, जालौर, डग, पिलानी, हिंडौन सिटी, रामगंज मंडी, सोजत, धौद, रेवदर, निवाई और खंडार सीटें एससी रिजर्व सीटें हैं.

नौ जिलों की 60 सीटों पर है सबसे ज्यादा फोकस
राजस्थान की एससी रिजर्व इन 34 दलित सीटों पर 80 लाख से ज्याता मतदाता हैं. ऐसे में सभी पार्टियों के लिए यह वर्ग महत्वपूर्ण है. बसपा दलित वोटर्स पर अपना पूरा फोकस भी कर रही है. पार्टी चुनावी रणनीति के तहत राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में गांव-गांव और घर-घर जाने की तैयारी में है. बसपा प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा के मुताबिक पार्टी भरतपुर, धौलपुर, करौली, अलवर, दौसा, चूरू, झुंझुनूं, हनुमानगढ़ और गंगानगर सहित नौ जिलों की 60 सीटों पर ज्यादा फोकस करेगी. क्योंकि हमने पहले भी इन जिलों में सीटें जीती हैं. इसलिए विधानसभा चुनाव में इन जिलों में पार्टी अपनी पैठ और बढ़ाएगी.

रणनीति के तहत सबसे पहले घोषित किए प्रत्याशी
बसपा अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए गांवों पर फोकस कर रही है. इसके लिए वह ‘बीएसपी चली गांव के ओर’ अभियान चला रही है. बसपा सुप्रीमो की चुनावी रणनीति दलित वोटर्स को पूरी तरह काबू में करने की है, ताकि कांग्रेस प्रत्याशियों के वोट बैंक में सैंध लगे. राजस्थान में दलित परंपरागत रूप से कांग्रेस के पलड़े में रहा है. मायावती ने सबसे पहले धौलपुर, नदबई और नगर विधानसभा सीट के लिए प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है. ताकि उन्हें चुनाव प्रचार के लिए पर्याप्त समय मिले. बसपा के कैडर वाली इन सीटों पर पिछले कुछ चुनावों से पार्टी का दबदबा रहा है. इसके अलावा मायावती के भतीजे और बीएसपी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद की भी प्रदेश भर में कार्यकर्ता सम्मेलन करने की प्लानिंग है.

एक नजर: ढाई दशक पहले हुई थी बसपा की राजस्थान में एंट्री
1998: राजस्थान में बसपा का खाता पहली बार खुला. कांग्रेस को 150, बीजेपी को 33 सीटें मिली. बसपा के दो विधायकों ने जीत हासिल की.
2003: बीजेपी 120 सीटें जीत कर बहुमत में आई. कांग्रेस को 56 सीटें मिलीं. बसपा एक बार फिर दो सीटें जीतने में सफल रही.
2008: पहली बार बसपा के छह विधायक जीते और वह किंग मेकर बन कर उभरी. कांग्रेस को 96 और बीजेपी को 78 सीटें मिलीं. तब सीएम अशोक गहलोत ने बसपा विधायकों का विलय करवा लिया.
2013: इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बंपर जीत मिली. रिकॉर्ड 163 सीटें जीतकर बीजेपी ने सरकार बनाई और कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट गई. इस बार बसपा के तीन विधायक जीते.
2018: पिछले विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बसपा के छह विधायक जीते. सीएम गहलोत ने एक बार फिर 2008 को दोहराया और बसपा के छह विधायकों को 16 सितंबर, 2019 में विलय कर लिया गया. चुनाव में कांग्रेस को 100 और भाजपा को 73 सीटें मिलीं.

hindi.news18.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *