Ground Report: राजस्‍थान में क्या सब्सिडी के सहारे हो सकेगी सरकार की नैया पार?

Ground Report: राजस्‍थान में क्या सब्सिडी के सहारे हो सकेगी सरकार की नैया पार?

अरुणिमा
जयपुर.
राजस्थान (Rajasthan) के पाली के गरनिया गांव की सुनीता सीरवी ने अपने गुलाबी और पीले लाभ कार्ड दिखाते हुए मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) का धन्यवाद करती हैं और कहती हैं कि मेरे घर के बजट में सुधार हुआ है. राजस्‍थान सरकार ने हमारे लिए कई योजनाओं की शुरुआत की है. अब राज्‍य के सभी शहरों में सीएम अशोक गहलोत के चेहरे वाले होर्डिंग्स, पोस्‍टर्स लगे हुए हैं. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर खंभों, बसों, दीवारों, ई-रिक्‍शा और अन्‍य स्‍थानों पर लगे पोस्‍टर्स में रियायती बिजली, एलपीजी सिलेंडर, चिकित्सा बीमा और पेंशन का वादा किया गया है.

सुनीता सीरवी कहती हैं कि ‘मैं गैस सिलेंडर के लिए 1,100 रुपये का भुगतान करती हूं, लेकिन सब्सिडी के कारण अब 550 रुपए मेरे खाते में वापस आ गए. वहीं, 100 यूनिट मुफ़्त होने से मेरा बिजली बिल कम हो गया है. यहां तक ​​कि अपने मवेशियों की देखभाल के लिए भी मुझे सरकार से धन मिलता है. राज्‍य में ऐसी कई महिलाएं हैं जो इसी तरह से अपनी बात रख रही हैं. दौसा के नागल गांव में प्रवत मीणा कहते हैं कि मुझे सरकार की पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है तो उनके साथ कोली कहते हैं कि अस्‍पताल में भर्ती होना अब कोई वित्तीय चिंता की बात नहीं.

सरकारी खजाने पर बोझ कब पड़ता है
मीणा कहती हैं कि जब-जब गरीबों, हाशिए पर रहने वाले या किसानों को लाभ होता है; तब-तब यह तर्क दिया जाता है कि इससे राज्य के खजाने पर बोझ पड़ेगा. वह पूछती हैं कि क्या सरकार उद्योगपतियों की मदद नहीं करती? जब बड़े लोगों को सब्सिडी मिलती है तो क्या इसका कोई आर्थिक निहितार्थ नहीं है? राजस्‍थान में लोगों का कहना है कि गहलोत सरकार केवल इसलिए योजनाएं शुरू कर रही है ताकि वह सत्‍ता विरोधी लहर से निपट सके. इसमें 100 यूनिट मुफ्त बिजली, 25 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा, एलपीजी सिलेंडर के लिए 500 रुपए, शहरी नौकरी की गारंटी, कुछ ऐसी योजनाएं हैं जिनकी घोषणा की गई है. हालांकि सरकार के लिए भ्रष्टाचार, गरीब महिलाओं की सुरक्षा में कमी और कांग्रेस के भीतर अंदरूनी कलह के आरोप दुखदायी साबित हो सकते हैं.

‘ईमानदार छात्रों का कोई भविष्य नहीं’, युवाओं ने जाहिर की नाराजगी
राजस्थान में युवाओं से बातचीत के दौरान अक्सर ‘पेपर लीक’ का जिक्र आता रहता है. जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय (जेएनवीयू) में लोकेंद्र सिंह बती कहते हैं कि मैं ऐसे परिवार से आता हूं जहां उच्च शिक्षा आसान नहीं है. बच्चे को कोचिंग कक्षाओं में भेजने के लिए परिवार के पास जो कुछ भी होता है उसे गिरवी रख देते हैं. साल दर साल हम प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं और फिर पेपर लीक हो जाता है. हमने एक साल और सिस्टम में अपना विश्वास खो दिया है. जिनके पास पैसा है, वे परीक्षा के पेपर खरीद लेते हैं, जबकि योग्य युवा अधर में रह जाते हैं.’

जब-जब छात्र बोला है… राज गद्दी डोला है
सचिन पुरोहित ने कहा कि आगामी चुनावों में अशोक गहलोत की हार सुनिश्चित होगी. कॉमर्स के छात्र कहते हैं, ‘जब जब छात्र बोला है… राज गद्दी डोला है.’ जालौर की नर्सिंग छात्रा ममता भी इससे सहमत हैं. वह कहती हैं कि सिर्फ इसलिए कि मेरे पास परीक्षा का पेपर खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं, मुझे सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती? इस सरकार में ऐसा कई बार हुआ है. उदयपुर की रितु इससे अधिक सहमत नहीं हो सकीं. वह सकती हैं कि मेरे पास बीएड की डिग्री है. फिर भी, मैं यह छोटी सी किराने की दुकान चलाने के लिए मजबूर हूं क्योंकि सरकार अपना काम ठीक से नहीं कर पा रही है. ईमानदार छात्रों का राजस्थान में कोई भविष्य नहीं है. राज्य सरकार के अपने आंकड़ों के अनुसार, 2018 में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद से राज्य भर्ती परीक्षा के 10 पेपर लीक हो चुके हैं. इस मुद्दे को कांग्रेस पार्टी नेता सचिन पायलट ने भी उठाया था. हालांकि इस मुद्दे को कांग्रेस पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने खारिज कर दिया था.

अंदरूनी कलह: ‘हमें केवल पायलट पर भरोसा है’
ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच के मतभेदों को भुला दिया है और ‘भूलो और माफ करो’ की नीति अपना ली है. लेकिन पायलट के समर्थक गुर्जर न तो माफ करने के लिए तैयार हैं और न ही वे भूलने मूड में हैं. राजसमंद में एक प्रॉपर्टी डीलर, राजेश गुर्जर पूछते हैं कि कोटा से भरतपुर तक, पूरा पूर्वी राजस्थान भाजपा का गढ़ था. पायलट ने इसे कांग्रेस तक पहुंचाया. उन्हें सीएम क्यों नहीं बनाया गया?

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दौसा के गांव में काम करती महिलाओं ने सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर की है. (फोटो- News18)

इस बार हम कांग्रेस पर भरोसा नहीं
सचिन पायलट के होमग्राउंड दौसा में लोगों ने कहा है कि ‘इस बार हम कांग्रेस पर भरोसा नहीं करेंगे. उन्होंने हमारी पीठ में छुरा घोंपा है. बावनपारा गांव के निवासियों का कहना है कि जो परिवार आज भी दुखी हैं, वे कांग्रेस का साथ नहीं देंगे. यह गांव सिकंदरा के पास है, जहां 2008 के गुर्जर आंदोलन के दौरान 21 लोग मारे गए थे. हालांकि रेनू देवी का कहना है कि सचिन पायलट पर भरोसा है. वह राजेश पायलट के बेटे हैं- जिन्‍होंने इस क्षेत्र के लिए बहुत काम किया.

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‘…तो कांग्रेस की गाड़ी पलट सकती है’
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर इस क्षेत्र में 4 प्रतिशत गुर्जर वोट एकजुट हो गए, तो कांग्रेस की गाड़ी पलट सकती है. इस कारण गहलोत दूसरी जातियों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. सिकंदरा से सड़क के उस पार मालियों की ढाणी है. इस गांव में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश में ‘प्रतिष्ठा’ लाने वाले व्यक्ति के रूप में सम्मानित किया जाता है. लेकिन गांव के निवासियों से पूछें कि क्या आने वाले चुनावों में भाजपा उनकी पसंद होगी, इस पर परस्पर विरोधी विचार हैं.

लोक सभा के लिए मोदी हमारी पसंद, लेकिन राजस्‍थान में…
सहजनाथ कहते हैं ‘अशोक गहलोत ने हमें पेंशन दिलवाई है…राजस्थान के लिए अच्छा काम कर रहे हैं. लेकिन लोकसभा के लिए मोदी मेरी पसंद होंगे. उनकी बात पर कई अन्‍य ग्रामीणों ने सहमति जताई. इस गांव और इसके आसपास के इलाकों में पानी की कमी एक बड़ी समस्या है. महिला निवासियों का कहना है कि केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान ने भले ही शौचालयों का निर्माण सुनिश्चित कर दिया हो, लेकिन पानी के किसी स्रोत के अभाव में, उनका उपयोग पशु शेड के रूप में या गाय के गोबर के भंडारण के लिए किया जा रहा है.

जो पानी देगा उसको वोट देंगे
राजकुमारी कहती हैं ‘जो पानी देगा उसको वोट देंगे.’ लेकिन साथी माली, गहलोत के प्रति नरम रुख को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. यदि भाजपा, राजस्थान में काम करने के लिए ‘मोदी जादू’ पर निर्भर है, तो ‘जादूगर गहलोत’ गुर्जरों के गुस्से को दूर करने के लिए मीणाओं, जाटों, मालियों और अन्य लोगों पर भरोसा कर रहे हैं.

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