बीजेपी-कांग्रेस के कद्दावर नेता परिवारवाद की पौध को सींचने में लगा रहे जुगाड़

बीजेपी-कांग्रेस के कद्दावर नेता परिवारवाद की पौध को सींचने में लगा रहे जुगाड़

हाइलाइट्स

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बीजेपी और कांग्रेस में कई नेता खुद के बजाए बेटे-बेटियों को चुनाव लड़ाने की लगा रहे जुगाड़
गहलोत सरकार के कई वयोवृद्ध मंत्री-विधायकों ने विधानसभा चुनाव न लड़ने की घोषणा की
सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ाने पर बीजेपी में मंथन, कुछ सांसद परिजनों को कर रहे आगे

एच. मलिक

जयपुर.

विधानसभा चुनाव की दस्तक से पहले प्रदेश के कद्दावर नेताओं ने अपने परिवार में ही किसी को टिकट दिलाने की लॉबिंग तेज कर दी है. साम-दाम, दंड-भेद वे किसी भी जुगाड़ से परिवारवाद की पौध को सींचने में लगे हैं. कांग्रेस (Congress) हो या भाजपा कई मंत्री-विधायक और बड़े नेता इस बार ऐलान कर रहे हैं कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे. ये कोई राजनीति से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (Voluntary Retirement)  का प्लान नहीं है, बल्कि राजनीति की पिच पर वंशबेल लॉन्च करने की तैयारी है.

बीजेपी परिवारवाद के खिलाफ हैं और उसके बड़े नेता राजस्थान आकर कांग्रेस पर कई बार इसे लेकर तंज कस चुके हैं. लेकिन बीजेपी के कई पूर्व मंत्री और वयोवृद्ध नेता उम्र का हवाला देकर खुद के लिए नहीं, लेकिन परिजनों के लिए टिकट मांग रहे हैं.

अब उम्र कोई फेक्टर नहीं, बस जिताऊ होना चाहिए

कांग्रेस चुनाव समिति में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में कहा था कि विधानसभा चुनाव के लिए टिकट के लिए पहली शर्त विनेबिलिटी (जीत की योग्यता) होगी. उम्र के फेक्टर से ज्यादा जरूरी है कि कैंडिडेट चुनाव जीतने वाला होना चाहिए. कर्नाटक में तो ‘90 साल के एक जवान’ भी चुनाव जीत गए. टिकट की मांग तो कोई भी कर सकता है, क्योंकि कांग्रेस में खुलापन है, लेकिन जिसकी जीत की संभावना सबसे ज्यादा होगी, उसी को आगे बढ़ाया जाएगा.

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उम्रदराज विधायकों के लिए तलाश रहे हैं विकल्प

विधानसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ कांग्रेस ने प्रत्याशी चयन की कवायद तेज कर दी है. जिताऊ चेहरों की तलाश के लिए सर्वे के जरिए जमीनी फीडबैक लिया जा रहा है. वहीं, कांग्रेस के कुछ उम्रदराज विधायक चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं, ऐसे में उनकी जगह भी विकल्प तलाशे जा रहे हैं. इसी बीच, उम्रदराज विधायकों ने भी अपनी जगह अपने परिजन के नाम आगे बढ़ा दिए हैं. प्रदेश में 10-15 सीटें ऐसी हैं, जहां पर कांग्रेस के मौजूदा उम्रदराज विधायकों ने पार्टी नेताओं को स्पष्ट कर दिया है कि उनकी जगह उनके बेटे-बेटी या अन्य परिजन को टिकट दिया जाए.

कांग्रेस में मंत्री-विधायक और दावेदार ‘परिजन’

विस. सीट        विधायक           टिकट के उत्तराधिकारी
गुड़ामालानी    हेमाराम चौधरी   पुत्री सुनिता चौधरी
खेतड़ी            जितेंद्र सिंह        पुत्री सोनिया सिंह
श्रीमाधोपुर       दीपेंन्द्र सिंह       पुत्र बालेन्दु सिंह
बगरू             गंगादेवी            पुत्र रवि
कठूमर           बाबूलाल बैरवा   पुत्र अवधेश बैरवा
शिव               अमीन खां          पुत्र शेर मोहम्मद
कोटा उत्तर     शांति धारीवाल    पुत्र अमित धारीवाल
करणपुर         गुरमीतसिंह कुन्नर पुत्र रुपिंन्दर सिंह
धोद               परसराम मोरदिया पुत्र महेश या राकेश
खंडेला           महादेवसिंह खंडेला पुत्र गिरिराज सिंह
लालसोट        परसादीलाल मीणा पुत्र कमल मीणा
राजगढ़          जौहरीलाल मीणा पुत्र दीपक मीणा

राजनीतिक विरासत बचाने के लिए अभी से जोड़-तोड़

दूसरी ओर विपक्षी दल बीजेपी में कई नेता पार्टी लाइन से विपरीत जाकर परिवारवाद को बढ़ाने में जुट गए हैं. कई उम्रदराज नेता इसी उधेड़बुन में सक्रिय हो गए हैं. वे खुद के लिए तो टिकट मांग ही रहे हैं, साथ ही इस जुगाड़ में भी हैं कि यदि उन्हें नहीं तो उनकी जगह परिवार के किसी सदस्य को ही टिकट मिले. जिससे राजनीतिक विरासत बची रहे. पार्टी में करीब डेढ़ दर्जन सीनियर नेता ऐसा चाहते हैं. कुछ सांसदों की भी इच्छा है कि उनके साथ ही परिवार से भी किसी को विधानसभा चुनाव लड़वाया जाए.

भाजपा नेताओं में वंशबेल बढ़ाने की लड़ाई ज्यादा

बीजेपी की बात करें तो पूर्व मंत्री गजेन्द्रसिंह खींवसर अपने पुत्र धनंजय सिंह को चुनाव लड़वाना चाहते हैं. सीकर पूर्व विधायक रतन जलधारी अपने पुत्र रमेश जलधारी के लिए टिकट चाहते हैं. पूर्व मंत्री बंशीधर बाजिया अपने पुत्र राहुल बाजिया को खंडेला से चुनाव लड़ाना चाहते हैं. पूर्व मंत्री कृष्णेन्द्रकौर दीपा अपने पुत्र दुष्यंत सिंह के लिए नदबई से टिकट मांग रही हैं. पूर्व मंत्री रामप्रताप अपने पुत्र अमित को हनुमानगढ़ से और पूर्व मंत्री सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी अपने पुत्र समनजीत सिंह को करणपुर से लड़ाना चाहते हैं. विधायक सूर्यकांता व्यास अपने पोते योगेश कुमार को सूरसागर, गुरजंट सिंह भी अपने पोते गुरबीर सिंह को सादुलशहर और देवीसिंह भाटी अपनी पुत्रवधू पूनम कंवर को कोलायत सीट से चुनाव लड़ाना चाहते हैं.

ये खुद चुनाव लड़ेंगे या पुत्र के लिए करेंगे वकालत

पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह चुनावों में इस बार खुद के साथ ही अपने पुत्र देवायुष के लिए शाहपुरा से टिकट मांग रहे हैं. विद्याधर नगर विधायक नरपतसिंह राजवी फिर चुनाव लड़ना चाहते हैं या फिर अपने पुत्र अभिमन्यु सिंह को टिकट दिलवाना चाहते हैं. बीजेपी हालांकि कुछ सांसदों को कमजोर सीटों से चुनाव लड़ाने का मन बना रही है. लेकिन कुछ सांसद तो अपने परिजनों को टिकट दिलाने की जुगाड़ में हैं. इनमें जसकौर मीणा पुत्री अर्चना मीणा को बामनवास से, घनश्याम तिवाड़ी पुत्र आशीष तिवाड़ी को चौमूं या सीकर से, नरेंद्र खींचड़ पुत्र अतुल को मंडावा से, भागीरथ चौधरी पुत्र सुभाष चौधरी को किशनगढ़ से और अर्जुनराम मेघवाल पुत्र रवि मेघवाल को खाजूवाला से चुनाव लड़ाना चाहते हैं.

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